भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबी मप्र सरकार, महाकाल कॉरिडोर इसका प्रमाण: बोले गोविंद सिंह
महाकाल लोक के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किए गए। जिस महाकाल लोक का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया, उसी महाकाल लोक की मूर्तियां एक आंधी भी सहन नहीं कर सकीं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मप्र में भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी हो चुकी हैं।

ग्वालियर। धार्मिक नगरी उज्जैन में रविवार की शाम चली तेज आंधी से श्री महाकाल लोक में स्थापित कई सप्तऋषियों की मूर्ति जमीन पर गिर खंडित हो गई थी। बताया जाता है कि महाकाल लोक में जिन सप्त ऋषियों की मूर्ति लगाई गई थी ऋषि वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि कण्व, ऋषि भारद्वाज, ऋषि अत्री, ऋषि वामदेव और ऋषि सुनक की है। इस मामले को लेकर कांग्रेस बड़े नेता मप्र सरकार पर बड़े-आरोप लगा रहे हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बाद अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने भी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है।
गोविंद सिंह ने मंगलवार को ग्वालियर में मीडिया से बात करते हुए कहा है कि महाकाल लोक के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किए गए। जिस महाकाल लोक का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया, उसी महाकाल लोक की मूर्तियां एक आंधी भी सहन नहीं कर सकीं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मप्र में भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी हो चुकी हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने बारह ज्योर्तिलिंगों में एक महाकाल कॉरिडोर को भी नहीं छोड़ा। डॉ. सिंह ने कहा कि महाकाल लोक निर्माण के समय ही इस बात का विरोध किया गया था कि मूर्तियां अष्टधातु की लगाई जाएं। लेकिन सभी धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुए फाइबर की मूर्तियां लगाई गईं। उसका हश्र यह हुआ कि तेज हवा के झोंकों ने मूर्तियों को गिरा दिया। अगर तूफान आ जाता तो क्या स्थिति होती।
गुजरात की फर्मों का महाकाल कॉरिडोर में कैसे रहा वर्चस्व
डॉ. सिंह ने कहा कि सिंहस्थ से लेकर महाकाल तक हुए भ्रष्टाचार में प्रदेश की भाजपा सरकार आकंठ डूबी हुई है। इन सब मामलों की जांच कराई जाए। ताकि जनता को पता चल सके कि धार्मिक मामलों में भी किस तरह का भ्रष्टाचार किया गया है। मीडिया से बात करते हुए सिंह ने यह भी सवाल किया कि महाकाल कॉरिडोर के निर्माण में गुजरात की फर्मों का ही वर्चस्व कैसे रहा? गुजरात की फर्में ही प्रदेश भर में ज्यादातर कार्य कर रही हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई जाए। साथ ही प्रदेश के अन्य विभागों में गुजरात की फर्मों द्वारा किए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता की जांच कराई जाए। जांच पूरी होने तक फर्मों को भुगतान नहीं किया जाए।