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मप्र के सरकारी कर्मचारी इन अस्पतालों में सारी सुविधाओं के साथ करा पाएंगे इलाज

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मध्य प्रदेश सरकार ने शासकीय कर्मचारियों और उनके आश्रितों के स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब प्रदेश के 50 से अधिक प्रमुख निजी अस्पतालों में सरकारी कर्मचारी सीजीएचएस दरों पर उच्चस्तरीय इलाज करवा सकेंगे।

लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा 22 मई को जारी आदेश के मुताबिक, जिन निजी अस्पतालों को “मनोनीत सूचीबद्ध” किया गया है, वे अब सरकारी दरों पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेंगे। इसका लाभ सिर्फ शासकीय कर्मचारी को ही नहीं, उनके आश्रितों को भी मिलेगा।

यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि निजी अस्पतालों में इलाज आमजन के लिए महंगा और जटिल माना जाता रहा है।

अब यही अस्पताल सीजीएचएस पैकेज में निर्धारित दरों पर सेवा देंगे – बिना किसी एडवांस पेमेंट या बीमा की जरूरत के।

इलाज का पूरा पैकेज: कोई छिपा खर्च नहीं, अब इलाज के दौरान: रजिस्ट्रेशन और ओपीडी: मरीजों के लिए रजिस्ट्रेशन और परामर्श शुल्क। अस्पताल में भर्ती: जनरल वार्ड, सेमी-प्राइवेट वार्ड, और प्राइवेट वार्ड में भर्ती। ऑपरेशन और सर्जरी: सामान्य सर्जरी से लेकर जटिल कार्डियक और न्यूरोसर्जरी तक। जांच और डायग्नोस्टिक्स: रक्त जांच, एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई आदि। आईसीयू और विशेष देखभाल: गहन चिकित्सा इकाई (ICU) और अन्य विशेष देखभाल सेवाएं। दवाएं और उपकरण: उपचार के दौरान आवश्यक सभी दवाएं और चिकित्सा उपकरण। फिजियोथेरेपी और नर्सिंग: पुनर्वास और देखभाल सेवाएं। डे-केयर उपचार: डायलिसिस और अन्य अल्पकालिक उपचार। सभी एक ही पैकेज में शामिल होंगे। किसी भी अस्पताल को इलाज के नाम पर अलग से शुल्क वसूलने या दवाएं बेचने की अनुमति नहीं होगी। इलाज के बाद कर्मचारी को विभाग द्वारा तय प्रारूप में बिल देना अनिवार्य होगा। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और फर्जी बिलिंग पर लगाम लगेगी।

किन सेवाओं का मिलेगा लाभ?

ये निजी अस्पताल अब निम्न सेवाएं सीजीएचएस दर पर उपलब्ध कराएंगे: जनरल मेडिसिन व जनरल सर्जरी हृदय रोग (कार्डियोलॉजी), कार्डियोथोरेसिक सर्जरी न्यूरोसर्जरी, ऑर्थोपेडिक्स, यूरोलॉजी रेडिएशन और मेडिकल ऑन्कोलॉजी (कैंसर उपचार) स्त्रीरोग, बाल शल्य चिकित्सा, ENT, डेंटल सर्जरी पॉलिट्रोमा, डायलिसिस व डे-केयर ट्रीटमेंट प्रतिपूर्ति की व्यवस्था भी लचीली सरकार ने प्रतिपूर्ति की शर्तों को भी सरल बनाया है, जनरल वार्ड में इलाज की स्थिति में 10% कम खर्च के हिसाब से प्रतिपूर्ति की जाएगी प्राइवेट वार्ड लेने की स्थिति में 15% अतिरिक्त राशि प्रतिपूर्ति के लिए योग्य होगी सेमी-प्राइवेट वार्ड पर सीजीएचएस की दरें लागू होंगी यानी इलाज के स्तर और जरूरत के अनुसार कर्मचारी अपने विकल्प चुन सकते हैं।  डायलिसिस जैसे उपचारों के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं

इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में स्थित प्रतिष्ठित निजी अस्पतालों को शामिल किया गया है।

इनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, शाजापुर, कटनी, हरदा, बैतूल, विदिशा, और होशंगाबाद शामिल हैं। कुछ प्रमुख अस्पतालों के नाम इस प्रकार हैं: लक्ष्या मल्टी स्पेशियलिटी (भोपाल) पीपुल्स जनरल हॉस्पिटल (भोपाल) बंसल हॉस्पिटल (भोपाल) रामकृष्ण मेडिकल कॉलेज (इंदौर) सीएचएल ट्रस्ट (इंदौर) श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (इंदौर) भंडारी हॉस्पिटल (इंदौर) कृष मेमोरियल (जबलपुर) आईटीएम ग्वालियर (ग्वालियर) आदित्य सुपर स्पेशियलिटी (रीवा) श्री बालाजी हॉस्पिटल (शाजापुर) विंध्य हॉस्पिटल (रीवा) इन अस्पतालों को उनकी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे, और सेवा गुणवत्ता के आधार पर चुना गया है।

अस्पतालों पर सख्त निगरानी

मध्य प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन अस्पतालों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। यदि कोई अस्पताल CGHS दरों से अधिक शुल्क वसूलता है, सेवा मानकों में कमी पाई जाती है, या शासकीय नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसकी मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी जाएगी।

विशेष रूप से, कार्डियक सर्जरी जैसे जटिल उपचारों के लिए अस्पतालों में निम्नलिखित सुविधाएं अनिवार्य होंगी: कैथ लैब गहन चिकित्सा इकाई (ICCU) विशेषज्ञ चिकित्सक ब्लड बैंक इसके अतिरिक्त, सभी अस्पतालों को नियमित ऑडिट और शिकायत निवारण तंत्र का पालन करना होगा। कर्मचारियों और उनके आश्रितों से किसी भी तरह की शिकायत मिलने पर त्वरित जांच की जाएगी। योजना का महत्व यह योजना मध्य प्रदेश के लाखों शासकीय कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए एक वरदान साबित होगी। वर्तमान में, मध्य प्रदेश में लगभग 7 लाख शासकीय कर्मचारी कार्यरत हैं, और उनके आश्रितों को मिलाकर यह संख्या 20 लाख से अधिक हो सकती है।

इस योजना के लागू होने से सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं: कर्मचारियों को अब सरकारी अस्पतालों की लंबी कतारों या महंगे निजी अस्पतालों की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।

वित्तीय राहत: CGHS की रियायती दरों के कारण कर्मचारियों को इलाज पर होने वाले बड़े खर्चों से राहत मिलेगी। गुणवत्तापूर्ण उपचार: सूचीबद्ध अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों और आधुनिक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।

पारदर्शिता: निर्धारित प्रारूप में बिल और CGHS दरों का पालन सुनिश्चित करेगा कि कर्मचारियों को अनावश्यक खर्चों का सामना न करना पड़े। क्या बोले कर्मचारी इस योजना ने शासकीय कर्मचारियों और उनके संगठनों में उत्साह पैदा किया है।

मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने कहा, “यह योजना कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है। अब हमें निजी अस्पतालों में इलाज के लिए अपनी जेब से भारी रकम नहीं खर्च करनी पड़ेगी।” सोशल मीडिया पर भी इस कदम की सराहना हो रही है। हालांकि, कुछ कर्मचारी नेताओं ने यह चिंता जताई है कि योजना का लाभ तभी प्रभावी होगा, जब अस्पतालों पर सख्त निगरानी रखी जाए। उन्होंने मांग की है कि शिकायत निवारण के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन और ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाए। भविष्य की संभावनाएं अधिक अस्पतालों को शामिल करना: छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के निजी अस्पतालों को भी इस योजना में शामिल किया जा सकता है।

डिजिटल एकीकरण: कर्मचारियों के लिए इलाज की प्रक्रिया को और आसान करने के लिए एक डिजिटल पोर्टल विकसित किया जा सकता है, जहां वे अस्पतालों की सूची, CGHS दरें, और बिलिंग की जानकारी प्राप्त कर सकें।

निगरानी तंत्र: अस्पतालों की नियमित जांच और ऑडिट के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन। जागरूकता अभियान: कर्मचारियों को योजना के लाभ और प्रक्रिया के बारे में जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं और सूचना अभियान। मध्य प्रदेश सरकार की यह नई स्वास्थ्य योजना शासकीय कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। 50 से अधिक निजी अस्पतालों को CGHS दरों पर उपचार के लिए सूचीबद्ध करना न केवल कर्मचारियों को वित्तीय राहत देगा, बल्कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को भी बढ़ाएगा। सख्त निगरानी और पारदर्शी बिलिंग प्रणाली इस योजना की सफलता को सुनिश्चित करेगी। यह कदम मध्य प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों का एक और उदाहरण है, जो कर्मचारियों के कल्याण और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है।

 

 

 

 

 

 

 

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