विदेश

गिड़गिड़ाए राष्ट्रपति, लेकिन लोगों ने एक न सुनी

कोलंबो अशांत पड़ोसी सेष श्रीलंका (Sri Lanka) के राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे (Gotbaya Rajpaksa) के इस्तीफा देने से इनकार करने और देश में व्यवस्था बहाल करने के संकल्प के बावजूद लोग उनके भाषण से असहमत रहें।

देश में प्रदर्शन कर रहे लोगों को मनाने की आशा रखते हुए श्री राजपक्षे ने कहा,’मैं एक नयी सरकार का गठन करने की कोशिश कर रहा हूं, जिसमें प्रधानमंत्री को संसद का बहुमत और मंत्रियों का बहुमत मिल सके तथा जो देश का भरोसा जीत सके।’
श्रीलंका में पिछले महीने विरोध-प्रदर्शन शुरू होने के बाद से अपने पहले राष्ट्रीय संबोधन में श्री गोतबया ने राष्ट्रपति पद की कुछ शक्ति संसद को सौंपने की बात कही, जिसमें युद्ध की घोषणा करने और संसद को भंग करने की शक्ति सहित कई व्यापक शक्तियां शामिल हैं। उन्होंने हालांकि ऐसा करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है। उनके इस संबोधन से उनके इस्तीफे की मांग कर रहे लोग नाखुश ही दिखें।
उन्होंने संकटग्रस्त देश में स्थिरता बहाल होने के बाद कार्यकारी राष्ट्रपति पद को समाप्त करके एक नयी सरकार गठन करने का भी वादा किया।
इससे पहले केंद्रीय बैंक के नए गवर्नर पी नंदलाल वीरसिंघे ने देश में अगल दो दिन के अंदर सरकार का गठन नहीं होने और विपक्ष के द्वारा शीर्ष पद के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार तय करने में विफल रहने पर इस्तीफा देने की धमकी दी थी।
राष्ट्रपति के भाषण में कई लोगों को ऐसा लगा कि देश के वास्तविक मुद्दे पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।
देश में कार्यकारी राष्ट्रपति पद को समाप्त करने की लंबे समय से मांग की जा रही है, जिसे वर्तमान राष्ट्रपति और उनके भाई पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे (Mahindra Rajpaksa) 10 वर्षों से अस्वीकार करते रहे हैं। जानकारी के अनुसार, पांच बार प्रधानमंत्री रहे एवं मुख्य विपक्षी यूनाइटेड नेशनल पार्टी के सदस्य रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) भी प्रधानमंत्री बनने के लिए राष्ट्रपति के साथ बातचीत कर रहे हैं।

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