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बिहार के बजट में लोकसभा चुनाव की झलक, भाजपा को रोकने महागठबंधन ने इन वर्गों पर किया फोकस

बिहार की सियासी पिच पर महागठबंधन हर वो चाल चल रहा है। जिससे बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 में बुरी तरह मात दी जा सके। तो वही भाजपा के बड़े नेता भी बिहार में भाजपा का माहौल बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब बिहार में महागठबंधन ने बजट को हथियार बना लिया है। औ

बिहार की सियासी पिच पर महागठबंधन हर वो चाल चल रहा है। जिससे बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 में बुरी तरह मात दी जा सके। तो वही भाजपा के बड़े नेता भी बिहार में भाजपा का माहौल बनाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब बिहार में महागठबंधन ने बजट को हथियार बना लिया है। और इसके जरिए भाजपा के हर दांव को फेल करने की तैयारी है। महागठबंधन ने बजट के जरिए ऐसा कोई वर्ग नहीं जिसे खुश करने का प्रयास ना किया हो। बजट के जरिए किसानों से लेकर महिला, युवाओं सब को साधने का प्रयास किया गया है। नीतीश सरकार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मंगलवार को 261885.4 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया, जिसमें वो सब कुछ था। जो मिशन-2024 के लिए जरुरी था। इस बजट में सियासी समीकरण का भी ख्याल रखा गया है। इतना ही नहीं वित्त मंत्री विजय कुमार ने जो बजट पेश किया है। वो पिछली साल की तुलना में 24,194.21 करोड़ रुपये अधिक है। मतलब साफ है कि महागठबंधन ने इस बार के बजट में पूरी ताकत झोंक दी है। और जनता को बताने की कोशिश की है कि हम किसान,महिला और युवाओं के सच्चे हितैषी हैं। वो इसलिए क्योकि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव और 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव हैं। इस लिहाज से इस बार के बजट में रोजगार पर भी खास फोकस किया गया है और साथ ही लोकलुभावन घोषणाएं भी की गई हैं।

आधी आबादी को साधने का प्रयास

बिहार में महागठबंधन सरकार ने बजट के जरिए आधी आबादी यानि महिलाओं को साधने की पूरी कोशिश की है। ऐसा लगता है कि बजट में महिलाओं के लिए खजाना खोल दिया हो। बजट में महिलाओं के लिए ऐसे कई प्रावधान किये गए हैं। जिससे मिशन-2024 की पूरी झलक अलग दिख रही है।आधी आबादी और महिला शक्ति के लिए कई तरह के एलान किए गए हैं। इन सौगातों में 10वीं की छात्राओं से लेकर वृद्ध महिलाओं तक के लिए कुछ न कुछ रखा गया है। हालांकि इसका उन्हें क्या और कितना लाभ मिलेगा, ये तो योजना के लागू होने के बाद ही सामने आ पाएगा। महागठबंधन सरकार ने नारी शक्ति योजना के तहत महिलाओं को यूपीएससी के लिए एक लाख और बीपीएससी की तैयारी के लिए 50 हजार रुपये देने का प्रावधान रखा है। तलाकशुदा अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए नीतीश सरकार ने बड़ी घोषणा की है। अल्पसंख्यक कल्याण योजना के तहत राज्य सरकार तलाकशुदा अल्पसंख्यक महिलाओं को वित्तीय सहायता राशि के तौर पर पहले 10 हजार रुपये देती थी, जिसे बढ़ाकर अब 25 हजार रुपये कर दिया गया है। यह राशि जीवन में एक बार ही दी जाती है। दरअसल बिहार में नीतीश कुमार की सियासी ताकत के पीछे महिला वोटर्स की भूमिका रही है और उनकी समाधान यात्रा के दौरान महिलाओं की बड़ी भागीदारी देखने को मिली थी। वही केंद्र में मोदी सरकार के आने बाद महिलाओं को बीजेपी ने अपना मजबूत वोटबैंक के तौर पर तैयार किया है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश की सत्ता में वापसी के पीछे भी इन्हीं महिला वोटर्स की अहम रोल था। यही वजह है कि नीतीश ने महिलाओं का बजट में खास ख्याल रखा है।

‘युवा शक्ति’ पर फोकस

सीएम नीतीश कुमार सरकार के बजट में महिलाओं के लिए ही नहीं युवाओं के लिए खूब घोषणाएं की गई हैं। महागठबंधन सरकार ने बजट में रोजगार को लेकर बड़ा दांव चला है। वित्त मंत्री ने ‘युवा शक्ति बिहार की शक्ति है’ का नारा देते हुए कहा कि राज्य में 32 फीसदी आबादी युवाओं की है। ऐसे में महागठबंधन सरकार ने 10 लाख युवाओं को रोजगार देने की योजना बनाई है। बजट में अलग-अलग विभागों में बहाली प्रक्रिया पूरी कर नौकरी दिए जाने का ऐलान किया गया है। सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति, विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को भरने के अलावा पुलिस बल में अतिरिक्त पद सृजित करने की बात कही है। पुलिस विभाग में 75543 पदों पर भर्ती, स्कूलों में 40506 प्रधान शिक्षकों की बहाली, इंजीनियरिंग कॉलेज में 522 शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। अगले वित्तीय वर्ष में शिक्षा विभाग द्वारा एक लाख से अधिक शिक्षकों और विभिन्न राज्य संचालित नर्सिंग प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा 10,000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। इस तरह रोजगार की दिशा में नीतीश सरकार ने बड़ा सियासी दांव चला है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए राजनीतिक संजीवनी बन सकती है।

अन्नदाताओं को खुश करने का प्रयास

बिहार में महागठबंधन सरकार ने बजट के जरिए किसानों को भी खुश करने का दांव चला है। किसान भी बिहार की सरकार बनाने और गिराने में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में नीतीश सरकार ने किसानों को मजबूती से अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश की है। बजट के जरिए महागठबंधन सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने का संकल्प लिया है और बिहार के हर खेत पानी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए विशेष प्रावधान रखने का ऐलान किया है। मखाना और शहद के लिए एक्सीलेंट सेंटर बनाने का वादा किया गया है। कृषि रोड मैप में दलहन, तिलहन को प्राथमिकता देने के साथ-साथ नदी जोड़ो योजना के तहत कोसी-मेची को जोड़ने की बात कही गई है। किसान बिहार की सियासत में एक रोल प्ले करते हैं, जिसके चलते नीतीश ने बजट में खास ध्यान रखा।

ओबीसी,दलित और आदिवासियों को साधने का प्रयास

बजट भाषण में जातिगत जनगणना का भी जिक्र किया गया है। दावा किया गया है कि जातीय जनगणना को लेकर हाउस लिस्टिंग का प्रथम चरण का काम 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया है और द्वितीय चरण भी निर्धारित समय में पूर्ण करने का लक्ष्य है। जातीय जनगणना से ओबीसी जातियों को साधने की नीतीश ने कवायद की तो बजट में दलितों और आदिवासी का भी खास ख्याल रखा है। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लाभ के लिए खर्च की जाने वाली राशि को लघु मद में अलग से निर्धारित किया गया है ताकि इसे किसी अन्य मद में खर्च न किया जा सके। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अनुसूचित जाति विशेष घटक योजना के लिए 16,939.53 करोड़ रुपये और आदिवासी उप योजना के लिए 1,574.49 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इस तरह से महागठबंधन ने सोशल इंजीनियरिंग बनाने का दांव चला है।

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