साल के अंत में पार्टी को एक और बड़े टेस्ट से गुजरना है, जो मुख्य विपक्षी के तौर पर पार्टी के भविष्य का फैसला कर सकता है।
नई दिल्ली – कांग्रेस की हालात सुधरने का नाम नहीं ले रही है, और पार्टी का नेतृत्व गलतियां सुधारने के स्थान पर लगातार बड़ी गलतियां करता जा रहा है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के एक बार फिर से लचर प्रदर्शन पर पार्टी के नेताओं ने ही नेतृत्व में बदलाव की मांग की है। ये मांग अब तक तो केवल 23 अंसतुष्ट नेताओं का गुट यानि जी G-23 ही कर रहे थे। G-23 ने दो साल पहले ही सोनिया गांधी को मांग से अवगत कराते हुए एक पत्र लिखा था।उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी पार्टी अपने प्रदर्शन से कोई असर छोड़ने में नाकाम रही है। हालत यह है कि पार्टी इस समय केवल दो राज्यों (राजस्थान और छत्तीसगढ़) में ही सत्ता में रह गई है।
G-23 – राहुल – प्रियंका के फैसलों ने किया आत्म विनाश
गांधी परिवार के नेतृत्व के खिलाफ पाटी में ही रहकर आवाज उठा रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा- कोई सुधार नहीं आने वाला है। कांग्रेस के वरिष्ठ इन नेताओं ने कहा-बहुत देर हो चुकी है। नेताओं के अनुसार – इस आपदा की आशंका पहले भी जताई जा चुकी है। राहुल प्रियंका के फैसलों पर दिल्ली में कांग्रेस के नेता सवाल उठा रहे हैं। इन फैसलों ने ही पंजाब में पार्टी को ‘आत्म विनाश’ की ओर पहुंचा दिया।
साल के अंत में एक और टेस्ट
साल के अंत में पार्टी को एक और बड़े टेस्ट से गुजरना है, जो मुख्य विपक्षी के तौर पर पार्टी के भविष्य का फैसला कर सकता है। यदि पार्टी ने गुजरात – कर्नाटक के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो यह राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद को गंवा सकती है। जैसा कि लोकसभा में कांग्रेस के साथ हुआ था । जहां वह पद की अर्हता हासिल करने के लिए जरूरी नंबर हासिल करने में नाकाम रही थी.