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12 वर्ष में पहली बार सबसे अधिक 4,515 बच्चे गोद लिए गए

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वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 4,515 बच्चे गोद लिए जाने के साथ ही भारत के गोद लेने से संबंधित इकोसिस्टम में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, जो 2015-16 के बाद से सर्वाधिक हैं। इनमें से 4,155 बच्चों को घरेलू स्तर पर गोद लिया गया, जो देश में बच्चों को कानूनी तौर पर गोद लिए जाने के प्रति बढ़ती स्वीकार्यता को दर्शाता है।

केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) द्वारा एक मजबूत पहचान अभियान ने 8,598 नए चिन्हित बच्चों को गोद लेने से संबंधित पूल में शामिल किया, जिससे और ज्यादा ज़रूरतमंद बच्चों को प्यार करने वाले परिवारों का मिलना सुनिश्चित हुआ। इसके अतिरिक्त, गोद लेने की प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ तालमेल कायम करते हुए गोद लेने से संबंधित 245 नई एजेंसियां स्थापित की गईं।

इस प्रगति में पहचान प्रकोष्ठ का हस्तक्षेप तथा व्यापक प्रशिक्षण एवं जागरूकता अभियान मुख्य कारक रहे। कारा ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गोद लेने की समयसीमा, सीडब्ल्यूसी सदस्यों का प्रशिक्षण, फ़ॉस्टर केयर तथा बच्चों और भावी दत्तक माता-पिता (पीएपी) के लिए गोद लेने संबंधी परामर्शों सहित 45 वर्चुअल प्रशिक्षण सत्रों के साथ-साथ वास्तविक राज्य अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किए। इसके अलावा, गोद लेने संबंधी जागरूकता अभियान के तहत, कारा ने अक्टूबर, 2024 से जनवरी, 2025 तक दत्तक माता-पिता के साथ बैठकें आयोजित करने के लिए 16 राज्यों के साथ भागीदारी की। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर की उपस्थिति में, नवंबर, 2024 में वार्षिक सम्मेलन भी आयोजित किया  गया, जिसमें फ़ॉस्टर केयर और गोद लेने की वकालत पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें 500 से अधिक हितधारकों ने भाग लिया।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए कारा ने अपनी प्रतिबद्धता का विस्‍तार करते हुए एक व्यापक बाल पहचान अभ्यास शुरू किया। इस पहल ने बच्चों को पाँच समूहों – अनाथ, त्यागे हुए, आत्मसमर्पण करने वाले, बिना किसी मुलाकाती वाले बच्चों और अनुपयुक्त अभिभावकों वाले बच्चों में वर्गीकृत किया। इस महत्वपूर्ण प्रयास का उद्देश्य अधिक से अधिक बच्चों को गोद लेने के कानूनी ढांचे के दायरे में लाना है, ताकि उनका सुरक्षित और सहयोगपूर्ण घर पाने का अधिकार सुनिश्चित हो सके।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मार्गदर्शन में कारा ने वैकल्पिक परिवार-आधारित देखभाल को बढ़ाने के लिए नई पहल भी शुरू की है। 2024 में कारा ने बड़े बच्चों को परिवार-आधारित वैकल्पिक देखभाल में रखने के लिए सीएआरआईएनजीएस पोर्टल पर फ़ॉस्टर केयर और फ़ॉस्टर एडॉप्शन मॉड्यूल पेश किए।

व्यापक पारदर्शिता और दक्षता की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, कारा ने गोद लेने की प्रक्रियाओं को सुचारु बनाने के लिए डिजिटल हस्तक्षेप लागू किए। डेटा क्लींजिंग से संबंधित पहचान से जुड़ी पहल और गोद लेने के नियम, 2022 के प्रावधानों को शामिल करते हुए सीएआरआईएनजीएस पोर्टल में सुधार किए गए। देश में रिश्तेदार और सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लेने के लिए नए मॉड्यूल पेश किए गए, जिससे औसत प्रसंस्करण समय 3-4 महीने तक कम हो गया।

वित्त वर्ष 2024-25 की उपलब्धियाँ भारत के गोद लेने के ढाँचे को मज़बूत करने में कारा के सक्रिय दृष्टिकोण को रेखांकित करती हैं। केंद्रीय और राज्य प्राधिकरणों के बीच निरंतर सहयोग के साथ, कारा हर ज़रूरतमंद बच्चे को एक सुरक्षित और प्यार भरा घर दिलाना सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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