धर्म

नरक चतुर्दशी के दिन मनाए जाते हैं पांच त्योहार,जानें इस दिन का महत्व

कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi) का त्योहार होता है। इसे नरक चौदस और छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी इस बार बुधवार, 3 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा।नइस दिन भगवान कृष्ण, हनुमान जी,यमराज और मां काली के पूजन का विधान है। इस दिन को छोटी दिवाली भी कहा जाता है. इस दिन आसान उपाय करके कई तरह की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मंगलवार को हनुमान जी प्रकट हुए थे, धार्मिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम से दीपदान का भी विधान है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और उसकी कैद से 16 हजार स्त्रियों को मुक्त कराया था. इसीलिए इस दिन को नरक चौदस (Narak Chaudas) के नाम से जाना जाता है। इस दिन सुबह के समय शरीर पर उबटन लगाने और तेल मालिश करने का विशेष महत्व है। इसके बाद शाम को यमदीप जलाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सौंदर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इस दिन मनाए जाने वाले पर्वों और पूजन के विधान के बारे में…

नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त :
अमृत काल– 01:55 AM से 03:22 AM तक।
ब्रह्म मुहूर्त– 05:02 AM से 05:50 AM तक।
विजय मुहूर्त – 01:33 PM से 02:17 PM तक।
गोधूलि मुहूर्त- 05:05 PM से 05:29 PM तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- 05:16 PM से 06:33 PM तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग 06:07 AM से 09:58 AM
निशिता मुहूर्त- 11:16 PM से 12:07 AM तक।

पूजा विधि
सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन 6 देवी देवताओं यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और वामन की पूजा का विधान है। ऐसे में घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान से पूजा अर्चना करें। सभी देवी देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रो का जाप करें।

बता दें इस दिन यमदेव की पूजा अर्चना करने अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है और सभी पापों का नाश होता है। तथा घर में सकारात्मकता का वास होता है। ऐसे में शाम के समय यमदेव की पूजा करें और चौखट के दोनों ओर दीप जलाकर रखें।

नरक चतुर्दशी का महत्व
नरक चौदस का पावन पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चौदस को मनाया जाता है। इसे नरक मुक्ति का त्योहार भी माना जाता है। इस दिन यमराज की पूजा अर्चना करने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और सभी पापों का नाश होता है। नरक चौदस के दिन तिल के तेल से मालिस करने से त्वचा पर निखार आता है।

आर्थिक तंगी हो तो तेल मालिश करें
मान्यता है कि चतुर्दशी यानी नरक चौदस के दिन लक्ष्मी जी सरसों के तेल में निवास करती हैं उस दिन शरीर में तेल लगाने से आर्थिक रूप से संपन्नता आती है। जिन लोगों को आर्थिक रूप से तंगी रहती हो उनको इस दिन सरसों का तेल लगाना चाहिए. नरक चौदस के दिन उबटन लगाएं, उसके बाद गुनगुने पानी से स्नान करें। इस दिन शारीरिक सुंदरता का भी ध्यान रखने की मान्यता है।

1-नरक चतुर्दशी – पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। उसके नाम पर ही इस दिन को नरकचौदस के नाम से जाना जाता है। इस दिन नरक की यातनाओं की मुक्ति के लिए कूड़े के ढेर पर दीपक जलाया जाता है।

2- हनुमान जंयती – रामायण की कथा के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास चतुर्दशी पर स्वाति नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार इस दिन हनुमान जंयती मनाई जाती है। हालांकि कुछ और प्रमाणों के आधार पर हनुमान जयंति चैत्र पूर्णिमा के दिन भी माना जाता है।

3- रूप चौदस – नरक चतुर्दशी को रूप चौदस भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन तिल के तेल से मालिश करके, स्नान करने से भगवान कृष्ण रूप और सौन्दर्य प्रदान करते हैं। इसके साथ ही नहाते समय पानी में चिरचिरा के पत्ते डालने चाहिए।

4- यम दीपक- पौराणिक मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज के नाम से आटे का चौमुखी दीपक जलाया जाता है। ऐसा करने से यमराज अकाल मृत्यु से मुक्ति प्रदान करते हैं तथा मृत्यु के बाद नरक की यातनाएं नहीं भोगनी पड़ती हैं। इस दीपक को यम दीपक कहा जाता है।

5- काली चौदसी- नरक चतुर्दशी के दिन मध्य रात्रि में मां काली का पूजन करने का विधान है। इसे बंगाल प्रांत में काली चौदस कहा जाता है।

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