पैसे की गड़बड़ में धराया नेताजी का दामाद भी

मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (ED) ने पुणे (Pune) में 2016 में जमीन खरीदने में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन (Money Laundering) के एक मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) (NCP) नेता एकनाथ खडसे (Eknath Khadse) के दामाद गिरीश चौधरी (Girish Chaudhary) को गिरफ्तार किया है।
अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि चौधरी को मंगलवार की रात को गिरफ्तार किया गया। उनसे दक्षिण मुंबई में केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय में इस मामले में काफी देर तक पूछताछ की गई।
अधिकारियों ने आरोप लगाया कि चौधरी पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं कर रहे थे। उन्हें धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) (PMLA) के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किए जाने की संभावना है।
खडसे (68) ने पिछले साल महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार (Sharad Pawar) की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में शामिल होने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) छोड़ दी थी।
ईडी का मामला 2017 में खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी और चौधरी के खिलाफ दर्ज पुणे पुलिस के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) (Anti Corruption Bureau) की प्राथमिकी से सामने आया। ईडी ने इस साल की शुरुआत में खडसे से मामले में पूछताछ की थी और उनका बयान दर्ज किया था।
खडसे ने इसी भूमि सौदे और कुछ अन्य मुद्दों के संबंध में आरोपों का सामना करने के बाद 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) की अगुवाई वाले महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। उस समय वह राजस्व मंत्री थे। ऐसा आरोप है कि उन्होंने पुणे के भोसारी इलाके में अपने परिवार को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) (MIDC) की सरकारी जमीन खरीदने में मदद के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।
उन्होंने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के साथ ही आयकर विभाग ने उन्हें मामले में क्लीन चिट दे दी थी।
यह मामला मई 2016 का है जब पुणे के एक कारोबारी हेमंत गवांडे ने शहर के बुंद गार्डन पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज करायी। कारोबारी ने आरोप लगाया था कि खडसे ने अपने मंत्री पद का दुरुपयोग किया और अपने रिश्तेदारों के नाम पर भोसारी इलाके में एमआईडीसी की जमीन 3.75 करोड़ रुपये में खरीदी जबकि बाजार में उसकी कीमत 40 करोड़ रुपये थी।
इस शिकायत पर पुणे एसीबी ने तीनों के खिलाफ और जमीन के मूल मालिक अब्बास उक्कानी के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून और भारतीय दंड संहिता की धारा 109 के तहत प्राथमिकी दर्ज की। एसीबी ने जांच पूरी होने के बाद अप्रैल 2018 में पुणे की एक अदालत में 22 पृष्ठों की एक रिपोर्ट सौंपी थी।