अशांत और क्रोधित है पृथ्वी
लेखक- प्रोफेसर केएस तिवारी
“प्रकृति की मरम्मत” के दशक 2020 से 2030 के पहले पर्यावरण दिवस को पर्यावरण मरम्मत के नाम पर करें।अब तक हुआ विनाश
1.पेट्रोल और कोयला का दहन से धरती CO2 प्रदूषण से पट गई है!
2. जैव विविधता (Bio Diversity) का विनाश बड़े पैमाने पर
3. ऑटोमोबाइल परिवहन में क्रांति पर धरती पर प्रदूषण का अंबार
4. जल चक्र और जल संसाधन की तबाही
5. जंगलों का विनाश 33% से घटकर 20% बचे
6. समुद्री जीवन खतरे में समुंद्र अम्लीय हुए।
7. प्राकृतिक संसाधनों की लूट जैसे खनिज पानी, वन प्राणी, भूमि इत्यादि
8. हमारा व्यवहार आदतें उपभोग की प्रकृति लालच भरी पर्यावरण शत्रु जैसी है
9. कचरे का अंबार
10. उद्योग खेती घरेलू उपयोग में कार्बन पानी ऊर्जा की भारी खपत
11. जंगलों में आगजनी
क्या कहां और कैसे सुधार हो
1. गैर पारंपरिक ऊर्जा सोलर और वायु पर आएं
2. जैव विविधता का संरक्षण में गति हो
3. पुराने बाहन फेज आउट हो इलेक्ट्रॉनिक बाहन का उपयोग हो, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, साईकिल ,पैदल
4. वर्षा जल रोके पानी का प्रबंधन संरक्षण हो बचत पर फोकस
5. जंगल 20% से 33% हो प्राकृतिक बन बढ़े
6. समुद्री जीवन संरक्षित हो
7. लूट तत्काल बंद हो
8. प्रकृति के साथ मित्रवत व्यवहार पर आएं
9. कचरा का प्रबंधन पुनर्चक्रण
10. इन सबमें कार्बन ऊर्जा पानी की खपत घटे
11. आगजनी पर रोक लगाई जाए
यद्यपि पर्यावरण और प्रकृति का विनाश वैश्विक स्तर पर हुआ है। किंतु राष्ट्रीय क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर अनेक अवांछित अमानवीय गतिविधियों से प्राकृतिक असंतुलन बड़ा है और साथ में मुश्किलें भी गहरा रही है क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर कुल विनाश का 30% है शोध राष्ट्रीय और वैश्विक समूचा मुद्दा सरकार की पर्यावरण नीति और सुधार पर केंद्रित है पर लोगों का व्यवहार उपयोग की आदतें और उत्पादन की प्रक्रिया ने भी पर्यावरण बिगाड़ा है 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर “प्रकृति की मरम्मत” परिस्थिति का सुधार केंद्र दशक 2021 से 2030 का प्रथम वर्ष समाज, सरकार, संगठन मीडिया कानून अदालतें कृषि पद्धति उद्योग और विशाल उत्पादन क्षेत्र उर्जा परिवहन आटोमोबाइल निर्माण इत्यादि के साथ लोग आचरण में बदलाव से ही सुधार संभव है बुंदेलखंड की कुछ अलग से समस्याएं हैं जिनके सुधार हेतु पर्यावरण दिवस पर चर्चा चिंतन चिंता के साथ वह गठित स्तर पर जोड़ना होगा ।
बुंदेलखंड और समवर्ती क्षेत्र की पर्यावरणीय समस्याएं और निदान
समस्या
1. पानी का खात्मा संकट गहन है
2. गरीबी पलायन आजीविका व्यापक अर्थों में पर्यावरण से जुड़ी समस्या है
3. जंगलों का विनाश
4. खनिज उत्खनन से पैदा असंतुलन
निदान
1.वर्षा जल का व्यापक संचय तालाब प्राकृतिक जल स्रोतों का पुनर्जीवित कारण ,भूमि का जल रिचार्जिंग
2. खेती के पर्यावरण मित्र विकल्प जल संचय, कौशल शिक्षा और रोजगार की उपलब्धता को बढ़ाना
3. प्राकृतिक वनों का क्रमिक विकास वृक्षारोपण के कार्य
4. खनिज उत्पादन पर लगाम लगे उत्खनन पर रोक हो
ये लेखन शोध और वर्तमान स्थिति पर आधारित है प्रकृति का संरक्षण ही मानव धर्म का मूल मंत्र होना चाहिए।
शरीर जिन पांच तत्वों से बना है, क्रमानुसार वे हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। पृथ्वी तत्व से हमारा भौतिक शरीर बनता है। जिन तत्वों, धातुओं और अधातुओं से पृथ्वी (धरती) बनी उन्हीं से हमारे भौतिक शरीर की भी रचना हुई है।
जरा सोचें अगर यह चीजें हमारे आस पास नहीं होंगी तो उसके बिना हमारा जीवन संभव है यह गहन चिंतन का विषय है।