धर्म

इस दो विशेष संयोग के कारण ज्येष्ठ पूर्णिमा का बढ़ रहा महत्व,जानें तिथि

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि (full moon date) का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) का व्रत 24 जून को है। इस पूर्णिमा व्रत पर दो विशेष संयोग बन रहे हैं। इस दिन पवित्र नदी या कुंड में स्नान, व्रत और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

पंचांग के अनुसार चन्द्रमा जब अपनी पूर्ण कला की अवस्था में होती है तो इस तिथि को पूर्णिमा (full moon) कहते हैं। पूर्णिमा की अवस्था प्रत्येक माह में एक बार होती है। इस बार यानी ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि 24 जून (June 24) को पड़ रही है। इस तिथि को जेठ पूर्णिमा या जेठ पूर्णमासी कहा जाता है। इस बार इस तिथि पर विशेष संयोग बन रहा है जिसके कारण ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्त्व और बढ़ गया है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के बीच में पूर्णिमा का स्थान विशिष्ट होता है। बृहस्पतिवार (Thursday) को पड़ने के कारण इस ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना विशेष फलदायी है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन पवित्र नदियों (holy rivers) में स्नान करने तथा व्रत रखने से पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। पूर्णिमांत के अनुसार, यह तिथि ज्येष्ठ माह की अंतिम तिथि होती है। इसके बाद आषाढ़ माह (ashadh month) प्रारंभ हो जाता है। आइये जानें ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा की तिथि, मुहूर्त एवं विशेष संयोग के बारे में।

ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि का मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – जून 24, 2021 तड़के 03:32 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – जून 25, 2021 को रात 12:09 बजे

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन बन रहा शुभ संयोग-
हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन खास संयोग बन रहा है। ज्येष्ठ पूर्णिमा इस साल गुरुवार को पड़ रही है। गुरुवार और पूर्णिमा तिथि दोनों ही भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व और बढ़ रहा है। पूर्णिमा के दिन ग्रहों की स्थिति की बात करें तो सूर्य मिथुन और चंद्रमा वृश्चिक राशि पर संचार करेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की शुभता में वृद्धि होती है।मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन प्रातः काल में पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि नदियों तक जाना सम्भव न हो, तो घर पर ही नहने के जल में गंगा जल मिलाकर भी नहाया जा सकता है।

व्रत का महत्त्व
ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि का महत्व
ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा व्रत रखा जाता है। यह व्रत महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण के राज्यों में विशेष रूप से रखा जाता है, जबकि उत्तर भारत में यह व्रत वट सावित्री के रुप मे मनाया जाता हैं, जो ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सावित्री ने अपने पति के प्राण यमराज से वापस लेकर आईं थी। यही वजह है कि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए इस व्रत को रखती हैं।  विष्णु का व्रत एवं पूजन करने तथा रात्रि में चंद्रमा को दूध और शहद मिलाकर अर्घ्य देने से भक्त के सभी रोग एवं कष्ट दूर हो जाते हैं। भक्त की मनोकामना पूरी होती है। उन्हें कभी धन वैभव की कमी नहीं होती।

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