धर्म

कल है मौना पंचमी,भगवान शिव और नाग देवता की होती है विशेष पूजा

श्रावण माह की कृष्णपक्ष की पंचमी तिथि पर मौना पंचमी व्रत रखा जाता है। जो इस बार 28 जुलाई 2021 बुधवार को है। मौना पंचमी का व्रत खासकर बिहार में नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना कर मौन रहकर यानी बिना बोले व्रत रखने का महत्व है। इसलिए इस व्रत को मौना पंचमी कहा जाता है। मौना पंचमी व्रत श्रावण महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है। पंचमी तिथि के स्वामी नागदेवता होने से इस दिन नागदेवता को सूखे फल, खीर और अन्य सामग्री चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है। देश के कुछ हिस्सों में इस दिन नागपंचमी भी मनाई जाती है। कई क्षेत्रों में इसे सर्प से जुड़ा पर्व भी मानते हैं। इस तिथि के देवता शेषनाग हैं इसलिए इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ शेषनाग की पूजा भी की जाती है।मौन व्रत रखने से व्यक्ति की मानसिक दृढ़ता का विकास होता है और शारीरिक ऊर्जा भी बचती है।

क्या है मौना पंचमी
भारत में कुछ जगहों पर सावन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी को मौना पंचमी का व्रत रखा जाता है। यह पर्व बिहार में नागपंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना कर मौन व्रत रखने का महत्व है। इसलिए इस पर्व को मौना पंचमी कहा जाता है। इस दिन नागदेवता को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है। झारखंड के देवघर के शिव मंदिर में इस दिन शर्वनी मेला लगता है, मंदिरों में भगवान शिव और शेषनाग की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में नवविवाहताओं के लिए यह दिन विशेष महत्वपूर्ण होता है। इस दिन से नवविवाहित महिलाएं 15 दिन तक व्रत रखती हैं और हर दिन नाग देवता की पूजा करती हैं। मौना पंचमी के दिन विधि विधान से व्रत करते हुए पूजा और कथा सुनने से सुहागन महिलाओं के जीवन में किसी तरह की बाधाएं नहीं आती हैं।

मौना पंचमी का महत्व
मौना पंचमी को शिवजी और नाग देवता की पूजा सांसारिक जहर से बचने का संकेत हैं। मौन व्रत न केवल व्यक्ति को मानसिक रूप से संयम और धैर्य रखना सिखाता है वहीं इससे शारीरिक ऊर्जा भी बचती है। कई क्षेत्रों में इस दिन आम के बीज, नींबू तथा अनार के साथ नीम के पत्ते चबाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये पत्ते शरीर से जहर हटाने में काफी हद तक मदद करते हैं। मौना पंचमी के दिन इन दोनों देवताओं का पूजन करने से मनुष्य के जीवन में आ रहे काल का भय खत्म हो जाता है और हर तरह के कष्ट दूर होते हैं।

मौन का अर्थ है
चुप और शान्त रहना, किसी से बातचीत न करना जिस कारण यह तिथि ‘मौना पंचमी’ के नाम से प्रचलित है। इस व्रत का संदेश भी यही है कि मनुष्यत के मौन धारण करवा कर जीवन में हर पल होने वाली हर प्रकार की हिंसा से उसकी रक्षा करना तथा मनुष्य के जीवन में धैर्य और संयम लाना और मनुष्य का मन-मस्तिष्का हिंसा को त्याग कर अहिंसा के मार्ग पर चलाना।

मौना पंचमी के न‍ियम

1. मौना पंचमी पर रखें मौन व्रत
मौना पंचमी पर मौन व्रत रखना शुभ माना गया है। कहा जाता है कि मौन व्रत धारण करने से भक्तों की मानसिक शक्ति का विकास होता है तथा शारीरिक ऊर्जा बनी रहती है।

2. शिव शंभू और नाग देव की करें पूजा
मौना पंचमी की तिथि शिव भक्ति के लिए बहुत लाभदायक है। इस दिन भगवान शिव और नाग देव की पूजा करने से काल समेत हर प्रकार का भय दूर हो जाता है। इसके साथ भक्तों के जीवन मे आ रही तमाम परेशानी भी दूर हो जाती है।

3. नवविवाहित इस दिन रखें व्रत
नवविवाहितों को इस दिन व्रत रखना चाहिए तथा भगवान शिव और नाग देव की आराधना करनी चाहिए। जो नवविवाहित जोड़े इस दिन व्रत रखते हैं उनका वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय होता है।

4. चबाएं आम, नींबू और अनार के पत्ते
इस दिन आम, नींबू और अनार के पत्तों को चबाना चाहिए। कहा जाता है कि इन पत्तों को चबाने से स्वास्थ्य बना रहता है। इसके साथ यह पत्ते शरीर में मौजूद हानिकारक जहर को बाहर निकालते हैं।

5. करें पंचामृत से शिवाभिषेक
इस दिन भक्तों को पंचामृत से शिवाभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों को ज्ञान, सकारात्मकता और बुद्धि प्रदान करते हैं। जो लोग पंचामृत से शिवाभिषेक नहीं कर सकते उन्हें जल से जरूर करना चाहिए।

Web Khabar

वेब खबर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button