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सुचितापूर्ण राजनीति के पर्याय थे डॉ. साहब, शिवराज ने मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दे उनसे जुड़ा संस्मरण किया याद

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नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के जनक माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने गुरुवार की रात देश को अलविदा कह दिया है। सिंह ने गुरुवार की रात दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि बेहोशी की हालत में उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। अपने समय के जाने-माने अर्थशास्त्री रहे मनमोहन सिंह के निधन की खबरें आने के बाद से ही देशवासियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। साथ ही पक्ष-विपक्ष के तमाम दिग्गज डॉ. मनमोहन के सिंह के साथ जुड़े किसों को याद कर रहे हैं। इसमें मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी नाम शामिल हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित कर सोशल मीडिया में उनसे जुड़ा एक संस्मरण भी याद किया है।

शिवराज सिंह चौहान ने एक सोशल मीडिया में लिखा, ”भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह जी आज हमारे बीच नहीं रहे। उनका जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है। वे अत्यंत विनम्र, सहज और सरल थे। मुख्यमंत्री रहते हुए मुझे कई विषयों पर सदैव उनका मार्गदर्शन मिला। डॉ. साहब शुचितापूर्ण राजनीति के पर्याय थे। 90 के दशक में उनकी उदारीकरण की नीतियां भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।

विजनरी था डॉ. साहब का व्यक्तित्व
मुझे एक संस्मरण याद आता है। पहले पाला को राष्ट्रीय आपदा नहीं माना जाता था और इस समस्या को लेकर मैं संघर्षरत था। यह विषय मैंने प्रधानमंत्री जी के समक्ष रखा तो उन्होंने एक कमेटी बनाई और श्रद्धेय प्रणब मुखर्जी जी, शरद पवार जी के साथ मुझे भी उसमें स्थान दिया। अंतत: कमेटी ने पाला को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया। डॉ. साहब का व्यक्तित्व विजनरी था। मेरे मन में सदैव उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान रहा। एक बार वॉशिंगटन दौरे पर एक पत्रकार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जी को ‘अंडर अचीवर’ कहा तो मैंने तुरंत प्रतिकार किया और सम्मान पूर्वक कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कभी अंडर अचीवर नहीं हो सकते।

राजनीति से ऊपर राज्यों का हरसंभव सहयोग किया
डॉ. साहब ने सदैव दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्यों को हरसंभव सहयोग दिया। एक बार मैं मध्यप्रदेश में किसानों की समस्या को लेकर उपवास पर बैठा तो यह उनका बड़प्पन था कि उन्होंने फोन पर तुरंत उपवास तोड़ने को कहा और समस्या के निवारण का आश्वासन दिया। सचमुच वह महान थे, निश्चय ही उनका जाना भारतीय राजनीति की बड़ी क्षति है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। विनम्र श्रद्धांजलि!”

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