भोपाल में कुत्तों ने मचाया आतंक,नसबंदी पर 9 करोड़ खर्च करने के बाद भी बढ़ रही आबादी
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कुत्तों ने आतंक मचा रखा है। यहां आए दिन कुत्तों के हमले के मामले सामने आते हैं। अनुमान के मुताबिक, राजधानी में हर रोज 30 से 40 लोग कुत्तों के शिकार हो रहे हैं। कुत्ते सबसे ज्यादा बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। हर इलाके में कुत्तों के झुंड देखे जा सकते हैं, जो राहगीरों को काटने पीछे दौड़ लगाते रहते हैं। दरअसल, राजधानी में कुत्तों की तदाद लगातार बढ़ता जा रही है। इसे रोकने के लिये सरकार ने साल 2013 से नसबंदी की प्रक्रिया भी शुरू की। इसके बावजूद भी अवारा कुत्तों की संख्या कम नहीं हो रही।
नसबंदी पर 9साल में 9करोड़ हुए खर्च
साल 2013 से अब तक राजधानी में 1.37 लाख से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी की गई। इन नौ साल में कुत्तों की नसबंदी पर 9 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इसके बाद भी उनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों की बात करें तो साल 2013-14 में नस बंदी के लिए 26.30 लाख रुपये की राशि खर्च की गई थी। वहीं, 2014-2015 में 1.12 करोड़, 2015-2016 में 1.41 करोड़, 2016-2017 में 1.16 करोड़, 2017-2018 में 1.04 करोड़, 2018-2019 में 1.41 करोड़, 2019-2020 में 1.33 करोड़, 2020-2021 में 41.05 लाख और 2021-2022 में 93.61 लाख रुपये खर्च किए गए।
शहर के इन इलाकों में कुत्तों का आतंक ज्यादा
राजधानी में कोलार के नयापुरा, गेहूंखेड़ा, ललितानगर में कुत्तों के झुंड हैं, जो हर आने-जाने वालों के पीछे दौड़ लगाते हैं। अशोका गार्डन में भी कुत्तों की संख्या काफी बढ़ गई है। कटारा हिल्स, वर्धमान ग्रीन पार्क, बीमाकुंज, करोंद इलाकों में भी आतंक है। अवधपुरी, बीडीए कॉलोनी, करोंद, बैरागढ़ समेत कई इलाकों में झुंड नजर आ सकते हैं। न्यू सुभाष नगर और गौतम नगर में भी कुत्ते राह चलते लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।
बच्चों को बना रहे शिकार
राजधानी में कुत्ते सबसे ज्यादा बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं। ताजा मामला पिछले महीने 17 अगस्त को सामने आया था। जहां बांसखेड़ी इलाके में एक सात साल की बच्ची को कुत्ते ने नोंच दिया था। उसकी आंख और मुंह बुरी तरह से जख्मी हो गया था। इसके तीन दिन पहले उसकी बड़ी बहन को भी कुत्ते ने काटा था। बच्ची करीब 15 दिन तक हॉस्पिटल में भर्ती रही। अब जाकर वह घर लौटी है, लेकिन अब भी वह डरी-सहमी हुई है। इस घटना ने आवारा कुत्तों को लेकर जिम्मेदारों के दावों की पोल खोल दी थी। ऐसा नहीं है कि यह मासूम को शिकार बनाने का पहला मामला था। इससे पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं। जिसने जिम्मेदारों को कठघरे में खड़ा कर दिया था।