विश्लेषण

मलैया को नोटिस देकर हार के असली कारणों पर तो पर्दा नहीं डाल रही बीजेपी

  • वीडी के लिए खुद को साबित करने का मौका था दमोह उपचुनाव में

भोपाल। दमोह विधानसभा उपचुनाव (Damoh Assembly By-election) में हार के बाद BJP में अब अंदरुनी कलह (Internal strife) सतह पर आने लगी है। पार्टी ने अनुशासनहीनता और भितरघात के आधार पर सीनियर नेता जयंत मलैया (Senior leader Jayant Malaiya) को कारण बताओ नोटिस (Show cause notice) जारी किया है तो उनके सुपुत्र और पांच मंडलों के अध्यक्षों को निष्कासित करने जैसा कदम भी उठाया है। दमोह में वरिष्ठ अधिकारियों (Senior officials) के तबादलों ने बीजेपी नेतृत्व (BJP leadership) पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। संगठन द्वारा मलैया परिवार (Malaiya family) पर की गई कार्रवाई के बाद जबलपुर के सीनियर बीजेपी विधायक (Senior BJP MLA) अजय विश्नोई (Ajay Vishnoi) भी खुलकर सामने आ गए हैं। सोशल मीडिया (social media) के माध्यम से उन्होंने सवाल उठाया है कि चुनाव में हार की जबावदारी क्या टिकट बांटने वाले और चुनाव की कमान संभालने वाले भी लेंगे?

उल्लेखनीय है कि शिवराज मंत्रिमंडल (Shivraj cabinet) के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह (Bhupendra singh) और पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव (Gopal bhargav) को दमोह उपचुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त किया गया था। लेकिन कायदे से चुनाव की कमान पूरी तरह से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा (BJP state president Vishnudutt Sharma) और सह संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा (Associate General Secretary Hitanand Sharma) के हाथ में थी। प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत (Suhas Bhagar) की ड्यूटी असम चुनावों (Assam Elections) में लगाई गई थी। अब तक चुनावों में मुख्य तौर पर कमान संभालते रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) पांच राज्यों के चुनाव प्रचार में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे थे लिहाजा, दमोह में चुनाव के दौरान और उससे पहले कुछ जमा सात दिन का समय दिया था। प्रचार के आखिरी दौर में कोरोना के फैलते भयावह स्वरूप को देखते हुए उससे निपटने की व्यवस्थाओं में लगे मुख्यमंत्री ने एक तरह से दमोह उपचुनाव से दूरी बना ली थी। इसलिए ये उपचुनाव खास तौर पर प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और सह संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के लिए खुद को साबित करने का एक बड़ा मौका था।





इससे पहले के अट्ठाइस सीटों (Twenty eight seats) के उपचुनाव (Bye election) में तो पार्टी की कमान मुख्यतौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) और ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के हाथ में थी। हालांकि तब भी प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर वीडी शर्मा ने भरपूर मेहनत की थी। लेकिन जाहिर है, इन उपचुनावों में जीत का श्रेय शिवराज सिंह चौहान के खाते में जमा हुआ। लेकिन दमोह उपचुनाव में जिस तरह का हस्तक्षेत्र वीडी शर्मा का था, उसमें यदि पार्टी सफलता हासिल कर लेती तो तय था कि VD Sharma की भी धाक जमती। अब अनुशासनात्मक कार्रवाई (Disciplinary Action) तो पार्टी ने की है, लेकिन इससे यदि सबक नहीं लिया तो भविष्य में इसी तरह संगठन पर नेताओं के हावी होने की संभावनाएं हैं। चुनाव के शुरूआती दौर में ही पार्टी को यह रिपोर्ट मिल चुकी थी कि मंडल अध्यक्षों के तौर संगठन में मलैया का बोलबाला है, तभी पार्टी को चौकन्ना होते हुए बदलाव करना चाहिए थे। कमोवेश पूरे प्रदेश में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में स्थानीय विधायकों और सांसदों के दखल के कारण पार्टी के पदाधिकारी एक तरह से इनके वफादार साबित होते जा रहे हैं। बीजेपी के संगठनात्मक ढांचे के लिए यह शुभ संकेत नहीं है। वीडी शर्मा के कमान संभालने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि पार्टी के स्थानीय स्तर के संगठन पर कम से कम विधायकों और सांसदों के प्रभाव को कम किया जाएगा। लेकिन VD Sharma भी ऐसा करने में नाकाम रहे बल्कि नए प्रयोग करने के फेर में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते हुए जो नए पदाधिकारी घोषित किए गए, उनका संगठन को लेकर अनुभव संदेह के दायरे में है।





दमोह उपचुनाव के नतीजे सामने आने के बाद प्रदेश संगठन एक्शन मोड (Action mode) में जरूर हैं। भितरघात के आरोपों पर कार्रवाई करते हुए दमोह से सात बार के विधायक रह चुके और पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया को कारण बताओ नोटिस (Show cause notice) थमा दिया गया है। मलैया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नजदीकी माने जाते हैं और उपचुनाव में प्रारंभिक नाराजगी के बाद CM के मनाने के बाद ही मलैया सक्रिय हुए। सवाल तो दमोह में हुए अधिकारियों के तबादलों पर भी उठ रहे हैं। दमोह उपचुनाव के नतीजों के कुछ दिन बाद ही शुक्रवार को दमोह कलेक्टर और एसपी बदल दिये गए। कलेक्टर तरुण राठी और एसपी हेमंत चौहान का तबादला करने के पीछे जो भी कारण हो लेकिन अभी तो भाजपा में ही दमोह सांसद (Damoh MP) और केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल (Union Minister of State Prahlad Patel) की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। सवाल यह भी उठाए जा रहे हैं कि क्या भाजपा के तमाम ताकत झौंकने के बाद भी मलैया परिवार पार्टी पर भारी पड़ गया। जाहिर है सत्रह हजार से ज्यादा की हार के पीछे पार्टी उम्मीदवार राहुल लौधी (Rahul Lodhi) का अपना खुद का व्यवहार भी एक बड़ा कारण है। वे अपने खुद के बूथ से सवा सौ वोटों से चुनाव हार गए हैं तो जाहिर है दमोह शहर में हार का ठीकरा वे जयंत मलैया पर कैसे फोड़ सकते हैं। असल में बीजेपी को दमोह में पार्टी को इस हार पर गहरे आत्मचिंतन की जरुरत है।

प्रकाश भटनागर

मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में प्रकाश भटनागर का नाम खासा जाना पहचाना है। करीब तीन दशक प्रिंट मीडिया में गुजारने के बाद इस समय वे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश में प्रसारित अनादि टीवी में एडिटर इन चीफ के तौर पर काम कर रहे हैं। इससे पहले वे दैनिक देशबंधु, रायपुर, भोपाल, दैनिक भास्कर भोपाल, दैनिक जागरण, भोपाल सहित कई अन्य अखबारों में काम कर चुके हैं। एलएनसीटी समूह के अखबार एलएन स्टार में भी संपादक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रकाश भटनागर को उनकी तल्ख राजनीतिक टिप्पणियों के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है।

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