स्टेन स्वामी की मौत पर ये बोला यूएन हमारे देश के लिए

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा । संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की एक मानवाधिकार विशेषज्ञ ने कहा कि हिरासत में पादरी स्टेन स्वामी (Priest Stan Swamy) की मौत के बारे में जानकर उन्हें धक्का लगा। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार के रक्षक को उसके अधिकारों से वंचित करने का ‘कोई कारण’ नहीं है और उनकी मौत भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड (Record of Human Rights in India) पर हमेशा एक धब्बा रहेगी।
एल्गार परिषद-माओवादी (Elgar Parishad-Maoist) संबंध मामले में गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) (UAPA) के तहत पिछले साल गिरफ्तार किए गए स्वामी की पांच जुलाई को मुंबई (Mumbai) के एक अस्पताल में मौत हो गयी। स्वामी 84 साल के थे।
संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मेरी लॉलर (Merry Lauler) ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि फादर स्वामी का मामला सभी देशों को याद दिलाता है कि मानवाधिकार के रक्षकों और बिना किसी वैध आधार के हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाना चाहिए।
लॉलर ने कहा कि चार दशक से ज्यादा समय से मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के जाने माने पैरोकार कैथोलिक पादरी (Catholic Priest) स्वामी की हिरासत में मौत भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर हमेशा एक धब्बा रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘एक मानवाधिकार रक्षक को आतंकवादी के रूप में बदनाम करने का कोई बहाना नहीं हो सकता और कोई कारण नहीं है कि उनकी मौत उस तरह हो जिस तरह फादर स्वामी की हुई। आरोपी के तौर पर हिरासत में उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया गया।’’
भारत ने स्वामी के मामले से निपटने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाओं को खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि संबंधित अधिकारी कानून के उल्लंघन के खिलाफ कदम उठाते हैं और कानूनी अधिकारों को नहीं रोकते हैं। वह विचाराधीन कैदी थे।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने सभी नागरिकों के मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए संकल्पबद्ध है और देश की लोकतांत्रिक नीति स्वतंत्र न्यायपालिका एवं राष्ट्रीय तथा कई राज्य स्तरीय मानवाधिकार आयोगों के अनुरूप है।