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सपाक्स व अजाक्स के प्रतिनिधियों को सीएस की दो टूक: लड़ते रहोंगे तो पदोन्नति का रास्ता निकलना मुश्किल

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भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण दिए जाने के नए नियम तैयार करने को लेकर मोहन सरकार ने तैयारियां तेज कर दी है। इस काम को खुद सीएस अनुराग जैन देख रहे हैं। उन्होंने गुरुवार सपाक्स व अजाक्स के कर्मचारी प्रतिनिधियों को बुलाकर उनकी राय जानी। सीएस ने दोनों कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों को अलग-अलग सुना।

अजाक्स की ओर से एसएल सूर्यवंशी व सपाक्स की ओर से डॉ. केएस तोमर, राजीव खरे व अन्य ने हिस्सा लिया था। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर बिंदुओं पर अजाक्स की ओर से सहमति दी गई, जबकि कई बिंदुओं पर सपाक्स ने सहमति नहीं दी। सूत्रों के मुताबिक दोनों कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों को सुनने के बाद सीएस कहा कि लंबे समय से मामला अटका हुआ है। सरकार पदोन्नति देना चाहती है, मुख्यमंत्री यह बात स्वयं कह चुके हैं। ऐसे में छोटे-छोटे विषयों पर असहमति नहीं जतानी चाहिए, बल्कि दोनों तरफ से कुछ विषयों को छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। तभी बात बनेगी, यदि ऐसा नहीं कर पाए तो हम सबको मुश्किल होंगी। सूत्रों के मुताबिक अप्रत्यक्ष तौर पर सीएस ने प्रतिनिधियों को कहा कि आपस में लड़ते रहते तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। बताया जा रहा है कि उक्त ड्राफ्ट को लेकर कर्मचारियों को दोबारा सुना जा सकता है, इसकी जिम्मेदारी जीएडी के एसीएस संजय दुबे को दी है।

क्या है पदोन्नति का मामला
2016 से पदोन्नति नहीं हो पा रही है। लाखों कर्मचारी बगैर पदोन्नत हुए सेवानिवृत्त हो गए। अभी भी यही क्रम जारी है। जिसे देखते हुए सीएम ने अप्रैल में पदोन्नति दिए जाने की घोषणा की थी। अचानकी की उनकी इस घोषणा से कर्मचारी जगत में खुशी का माहौल है। हाल में मंत्रालय परिसर में हुए सम्मान समारोह में भी सीएम ने यह बात दोहराई है लेकिन पदोन्नति दिए जाने संबंधी नए ड्राफ्ट पर कुछ कर्मचारी संगठनों में सहमति नहीं बन पा रही है। अजाक्स संगठन के पदाधिकारी वर्ष 2002 के पदोन्नति नियमों के तहत पदोन्नति चाहते हैं तो सपाक्स के पदाधिकारी बदलाव चाहते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे समेत अन्य अधिकारियों द्वारा तैयार किए प्रस्ताव के ड्राफ्ट का सीएम के सामने कर्मचारियों के बीच प्रजेंटेशन दिया गया।

सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में मामला है, इसलिए भी हर स्तर पर राय ली जा रही है। सूत्रों के मुताबिक सपाक्स किसी भी वर्ग के क्रीमीलेयर के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण न मिले। जिन कर्मचारियों को पदोन्नति दी जा चुकी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिवर्ट करने की बात कही थी, उनके मामले में स्टेटस-को रखा जाए। ऐसे कर्मियों को पदोन्नत न किया जाए, जो आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी में आए, उन्हें अनारक्षित श्रेणी के पदो पर पदोन्नत न किया जाए। जबकि वर्ष 2002 के पदोन्नति नियम व सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किए गोरकेला प्रस्ताव से अलग जाकर पदोन्नति नहीं चाहते। पूर्व में जिन कर्मचारियों को पूर्व में पदोन्नति मिल चुकी है, उन्हें रिवर्ट न किया जाए। सबसे पहले अनारक्षित पदों के लिए डीपीसी हो, उसके बाद एसटी और फिर एससी के पदों के लिए प्रक्रिया शुरू की जाए।

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