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एक्सपर्ट्स से जानिये कितनी अधिक भरोसेमंद है कोविशील्ड 

दिल्ली। कोवैक्सीन (Covaccine) की तुलना में कोविशील्ड टीके (Covishield Vaccine) से ज्यादा एंटीबॉडी (Antibody) बनती है, हालांकि दोनों टीके प्रतिरक्षा (Immune System) को मजबूत करने में बेहतर हैं। एहतियात के तौर पर दोनों टीकों की खुराकें ले चुके स्वास्थ्यकर्मियों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आयी है।

यह अध्ययन अभी प्रकाशित नहीं हुआ है और इसे ‘मेडआरएक्सिव’ पर छपने से पहले पोस्ट किया गया है। इस अध्ययन में 13 राज्यों के 22 शहरों के 515 स्वास्थ्यकर्मियों (Health Workers) को शामिल किया गया। इनमें से 305 पुरुष और 210 महिलाएं थीं।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया(Serum Institute of India), ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford/AstraZeneca ) के कोविशील्ड टीके का निर्माण कर रही है। वहीं हैदराबाद स्थित कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) (ICMR) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) (NIV) के साथ तालमेल से कोवैक्सीन का निर्माण कर रही है। अध्ययन में शामिल होने वालों के खून के नमूनों में एंटीबॉडी और इसके स्तर की जांच की गयी।

अध्ययन के अग्रणी लेखक और जीडी हॉस्पिटल एंड डायबिटिक इंस्टीट्यूट, कोलकाता में कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलॉजिस्ट (मधुमेह रोग विशेषज्ञ) अवधेश कुमार सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘दोनों खुराक लिए जाने के बाद दोनों टीकों ने प्रतिरक्षा को मजबूत करने का काम किया। हालांकि, कोवैक्सीन की तुलना में सीरो पॉजिटिविटी दर और एंटीबॉडी स्तर कोविशील्ड में ज्यादा रहा।’’ कोवैक्सीन की खुराकें लेने वालों की तुलना में कोविशील्ड लेने वाले ज्यादातर लोगों में सीरो पॉजिटिविटी दर अधिक थी।

अध्ययन के लेखक ने कहा, ‘‘515 स्वास्थ्यकर्मियों में दोनों टीकों की दोनों खुराकें लेने के बाद 95 प्रतिशत में सीरो पॉजिटिविटी दिखी। इनमें से 425 लोगों ने कोविशील्ड और 90 लोगों ने कोवैक्सीन की खुराकें ली थी और सीरो पॉजिटिविटी दर क्रमश: 98.1 प्रतिशत और 80 प्रतिशत रही।’’

सीरो पॉजिटिविटी (Seropositivity) का संदर्भ किसी व्यक्ति के शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी से है।

अहमदाबाद के विजयरत्न डायबिटिक सेंटर, कोलकाता के जी डी हॉस्पिटल एंड डायबिटिक इंस्टीट्यूट (GD Hospital and Diabetic Institute of Kolkata), धनबाद के डायबिटिक एंड हार्ट रिसर्च सेंटर और जयपुर में राजस्थान हॉस्पिटल और महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया। अध्ययनकर्ताओं ने कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके और जो लोग संक्रमित नहीं भी हुए उनमें दोनों खुराकें लेने के बाद के नतीजे की तुलना की। ऐसा पाया गया कि जो प्रतिभागी दोनों टीकों की पहली खुराक के कम से कम छह सप्ताह पहले कोविड-19 से उबर गए थे और बाद में दोनों खुराकें ले ली थी, उनमें सीरो पॉजिटिविटी दर 100 प्रतिशत रही और दूसरों की तुलना में उनमें एंटीबॉडी का ज्यादा स्तर था।

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