मध्यप्रदेश

पेसा एक्‍ट में हुई बीजेपी और आरएसएस के लोगों की नियुक्ति: कांग्रेस

कांग्रेस के साथ जयस ने भी लगाए नियुक्ति में गड़बड़ी के आरोप

भोपाल। आदिवासियों की सबसे प्रमुख मांग पेसा एक्‍ट को मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लागू तो कर दिया लेकिन इसमें हुई नियुक्तियों पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस और जय आदिवासी संगठन ने नियुक्तियों में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें बीजेपी और आरएसएस के युवाओं को ही नियुक्ति किया गया है। साथ ही कांग्रेस ने इस एक्‍ट को लेकर ओर भी कई सवाल खड़े किए।

युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष विक्रांत भूरिया ने प्रेसवार्ता में आरोप लगाए कि पेसा एक्‍ट के तहत नकली भर्तियां की जा रही है। पेसा कानून से आदिवासियों को ठगा जा रहा है। पेसा कानून 1999 में बन चुका है लेकिन सीएम ने 20 साल तक प्रदेश में पैसा कानून लागू नहीं होने दिया। इस कानून का मुख्य उद्देश्‍य था कि लोकसभा और विधानसभा से भी बड़ी ग्रामसभा होगी। जंगल, जमीन, जल का अधिकार दिया जाएगा। इसका उद्देश्‍य आदिवासियों को उनकी रूढ़ि प्रथा, संस्कृति और संस्कारों की रक्षा करना था, लेकिन इसके लिए प्रदेश सरकार ने कोई नियम नही बनाया। बीजेपी सरकार ने पैसा कानून में ग्राम पंचायत व ग्राम सभाओं के जन प्रतिनिधियो को बाहर किया। इसमें बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं को नौकरी दी जा रही है। ग्राम कोऑर्डिनेटर, डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर में बीजेपी के नेता पुत्रों को नौकरी दी गई। भूरिया ने कहा कि 119 नियुक्तियों में एक भी महिला नहीं है। बीजेपी महिलाओं को सिर्फ वोट बैंक के रूप में यूज करती है। बीजेपी सरकार ने खुद की एजेंसियों से क्यों नहीं भर्ती कराई। यह काम बाहर की एजेंसी से कराया गया है। उन्‍होंने चयन प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की जांच की मांग करते हुए कहा कि पूरे मामले की सीबीआई जांच हो। सभी भर्तियों को निरस्त किया जाए। ज्ञात रहे कि लगभग 89 ब्लाकों में सैडमैप के जरिए नियुक्ति की गयी है। अब इन नियुक्तियों में धांधली का आरोप लगाते हुए आदिवासी संगठन ‘जयस’ के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भर में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है। ‘जयस’ केराष्ट्रीय संरक्षक और मनावर विधायक डॉ.हीरालाल अलावा का कहना है कि 89 ब्लाकों मेंकी गयी नियुक्तियां फर्जी हैं। खरगोन जयस के मीडिया प्रभारी मायाराम अवाया ने भी बीजेपी-आरएसएस से लोगों की नियुक्ति का आरोप लगाया है। 8 फरवरी 2022 को उद्यमिता विकास केन्द्र यानि सैडमैप ने एक सूचना जारी की थी, जिसमें पेसा समन्वयकों केसाक्षात्कार को स्थगित कर दिया गया था। जयस का आरोप है कि इसके बाद बैकडोर से बीजेपी-आरएसएस के कार्यकर्ताओं को नियुक्त कर दिया गया। जबकि बीजेपी का कहना है कि नियुक्तियों में कोई गड़बड़ी नहीं हुई मेरिट के आधार पर नियुक्तियां हुई हैं। कोई भी इसे कोर्ट में चैलेंज कर सकता है।

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