आयोग आपके द्वार, 20 जून को आगर-मालवा में होगी जनसुनवाई
भोपाल – मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोग आपके द्वार कार्यक्रम के तहत मानवाधिकार हनन से संबंधित मामलों की जिलास्तर पर सीधी जनसुनवाई की जाती है। इसी श्रृंखला में आयोग द्वारा आगामी 20 जून (सोमवार) को जिला पंचायत कार्यालय, आगर-मालवा के सभाकक्ष में सुबह 10ः30 बजे मानव अधिकार हनन के पूर्व लम्बित एवं मौके पर प्राप्त नये मामलों की सीधी जनसुनवाई की जायेगी। इस जनसुनवाई में आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन, माननीय सदस्य मनोहर ममतानी, आयोग में आगर-मालवा जिले के मामलों के प्रभारी प्रस्तुतकर्ता अधिकारी रजिस्ट्रार (लाॅ) नवनीत कुमार गोधा सहित आयोग के अन्य अधिकारी, कर्मचारी भी मौजूद रहेंगे। आगर-मालवा में आयोजित होने वाली इस सीधी जनसुनवाई में मानवाधिकार हनन से पीड़ित, जिले का कोई भी व्यक्ति या समूह अपना नया आवेदन भी दे सकेंगे।
दो मामलों में आयोग ने लिया संज्ञान
बेतवा नदी में नहाने गये बालक की डूबने से मौत
निवाड़ी जिले के ओरछा में डीआरसी पर्यटक चैकी से होमगाडर््स को सूचना प्राप्त हुई कि कंचनाघाट बेतवा नदी के पास नहा रहा था। पैर फिसल जाने के कारण वह नदी में डूब गया। सूचना प्राप्त होने पर प्लाटून कमांडर पीयूष शर्मा द्वारा तत्काल टीम गठित कर तत्काल मौके पर रवाना हुये। रेस्क्यू टीम एवं स्थानीय तैराकों के द्वारा शव को बाहर निकाला गया। लड़के की पहचान निखिल राय पिता जयगोपाल राय (उम्र 16 वर्ष) निवासी सिमरहा उप्र के रूप में हुई है। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर, निवाड़ी से एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी पूछा है कि क्या मृतक के उत्तराधिकारी को कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं ?
एसपी अशोकनगर एक माह में दें जवाब
अशोकनगर जिले की त्रिलोकपुरी काॅलोनी निवासी 26 वर्षीय भूपेन्द्र सिंह दांगी ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली। सुसाइड नोट में उसने कोतवाली में पदस्थ एएसआई पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। उसने लिखा है कि एएसआई उससे रूपयों की मांग कर रहा था, परेशान रघुवंश सिंह भदौरिया ने एएसआई को लाईन अटैच कर दिया है। पुलिस के अनुसार शुक्रवार सुबह युवक मजदूरी के लिए घर से गया था। जहां से एएसआई तिवारी ने उससे मारपीट की। बाद में भूपेन्द्र ने सबसे छोटे भाई को फोन किया और बताया था कि एएसआइ मुझे फिर पकड़ रहा है और मुझे परेशान करेगा, इसलिए मैं मर ही रहा हूं। इसके बाद रात में भूपेन्द्र घर नहीं लौटा। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक, अशोकनगर से एक माह में जवाब मांगा है। साथ ही यह भी पूछा है कि मामले की एफआईआर हुई या नहीं?