भोपाल। मध्यप्रदेश के इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों की फीस तय करने का कार्य प्रवेश एंव फीस विनियामक समिति ने शुरू कर दिया है। प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति को राज्य के 208 कॉलेज की तीन सत्र 2025-26, 2026-27 और 2027-28 की फीस निर्धारित कर दी है। बीई, एमबीए के साथ बीसीआई और एनसीटीई कोर्स की फीस तय दी गई है। फीस कमेटी ने बीई और एमबीए की न्यूनतम सालाना फीस 40 हजार रुपए तय की है।
वहीं एमटेक की सालाना फीस 62 हजार रुपए तय की गई है। कुछ कालेजों को बैलेंस सीट प्रस्तुत करने समय दिया गया है, जिनकी फीस अगले माह तय होगी। बीएड के साथ एलएलबी और एलएलएम की फीस भी फिक्स कर दी गई है। शेष 50 कॉलेजों की सुनवाई भी जल्द पूरी कर फीस अगले माह के प्रथम सप्ताह में तय कर दी जाएगी। इसके बाद फामेर्सी काउंसिल आफ इंडिया द्वारा संचालित कोर्स की फीस निर्धारित करने के लिए कॉलेजों को सुनवाई का मौका दिया जाएगा
आज से तकनीकी शिक्षा की काउंसलिंग शुरू
तकनीकी शिक्षा कर विभाग की काउंसलिंग मंगलवार से शुरू हो रही है। इसलिए फीस कमेटी ने सोमवार को इंजीनियरिंग डिग्री और डिप्लोमा की फीस तय की है। बीई की न्यूनतम फीस चालीस हजार और अधिकतम फीस 67 हजार रुपए सालाना और डीई की 25 हजार सालाना तय की है। इसके अलावा 92 एमबीए कालेजों की फीस भी न्यूनतम चालीस हजार के और अधिकतम 67 हजार रुपए सालाना तय की गई है। जबकि 28 एमटेक कालेजों की फीस 62 हजार रुपए फिक्स हुई है। कई कालेज की फीस फिक्स बैलेंस शीट के अभाव में तय नहीं की गई है। उन्हें सोमवार तक अपनी बैलेंस शीट जमा करनी थी। इसलिए उनकी फीस अब अगले माह निर्धारित की जाएगी।
बीएड की न्यूनतम फीस 32 हजार रुपए
कमेटी ने बीसीआई और एनसीटीई में आने वाले कोर्स की फीस भी निर्धारित कर दी है। वर्तमान में कमेटी ने 93 बीएड, एलएलबी, बीएएलएलबी और एलएलएम की फीस निर्धारित की है। बीएड की न्यूतनत फीस 32 हजार रुपए तय की है। इसी तरह एलएलबी और बीएएलएलबी, बीकामएलएलबी, बीएससीएलएलबी और बीबीएएलएलबी की न्यूनतम फीस 23 हजार रुपए सालाना निर्धारित की है। वहीं एलएलएम की न्यूनतम फीस 25 हजार रुपए सालाना तय की गई है।
कॉलेज बैलेंस शीट में कुछ ज्यादा एंट्री नहीं दिखा सके
हालांकि कॉलेज ने फीस कमेटी ने ऊंचे स्तर की फीस की मांग की थी। सुनवाई की दौरान हुई जिरह में कॉलेज अपने बैलेंस शीट में कुछ ज्यादा एंट्री नहीं दिखा सके। इसलिए उन्हें पूर्व में निर्धारित हुई फीस से संतोष करना पड़ा है। कुछ कालेजों ने फीस बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को मिलने वाली सुविधाओं की दुहाई दी, जिसके कारण उनकी फीस में कुछ बढ़ोतरी हो सकी है।