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महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज में ‘सीएम की पाठशाला’: बेटियों ने मोहन पर दागे सवाल, सहजता के साथ मिला जवाब

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भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को भोपाल के महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज में छात्राओं से संवाद किया। यही नहीं सीएम ने कॉलेज के फैशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की छात्राओं से उनके क्लासरूम में ‘सीएम की पाठशाला’ लगाई और सभी बेटियों से गुरूतुल्य संवाद किया। ‘सीएम की पाठशाला’ कार्यक्रम में बेटियों ने भी सीएम से प्रश्न भी पूछे। मुख्यमंत्री ने सभी प्रश्नों के बड़ी सहजता और मनुहार के साथ जवाब दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने छात्राओं के साथ सेल्फी भी ली।

मुख्यमंत्री ने छात्राओं को मध्यप्रदेश की महारानी दुर्गावती और लोकमाता देवी अहिल्याबाई के सम्पूर्ण जीवन पर रोचकतापूर्वक प्रकाश डालकर छात्राओं का ज्ञान संवर्धन किया। छात्राओं से संवाद के दौरान सीएम कहा कि कि राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं है। राष्ट्र का हित सर्वोपरि है। भारत देश में महिलाएं तब भी सशक्त थीं, जब उन्हें कम अधिकार थे और आज भी उतनी ही सशक्त हैं, जब उन्हें सर्वाधिकार प्राप्त हैं। महारानी दुर्गावती और देवी अहिल्याबाई ने अपने साहस, शौर्य, पराक्रम और कौशल से न केवल शासन किया अपितु प्रशासन व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में एक आदर्श प्रस्तुत किया। दोनों का जीवन आसान नहीं था, इनके जीवन में नाना प्रकार के संघर्ष थे, अवरोध थे, कठिनाईयां थीं, दुश्वारियां थीं, फिर भी इन्होंने हार नहीं मानी और अंतत: सारी कठिनाईयों से लड़कर और जूझकर उन्होंने अपना मुकाम हासिल किया। यही वजह है कि आज हम इन्हें उनके पराक्रम के लिए जानते हैं।

अकबर की सेना से लोहा लेते खुद को न्यौछावर किया महारानी ने
सीएम डॉ. यादव ने कहा कि महारानी दुर्गावती ने अकबर की सेना के साथ लड़ाई की और अंतत: खुद को न्यौछावर कर दिया। मुख्यमंत्री ने छात्राओं को बताया कि महारानी दुर्गावती ने जबलपुर में आधारताल, मदन महल बनाया। ऐसी जल संरचनाएं बनवाईं कि एक तालाब भरने के बाद अगला तालाब, उसके बाद उसके अगले तालाब में जल संरक्षण होता रहा। इससे प्रजा को जल संचयन की प्रेरणा मिली। उन्होंने कहा कि तकनीक के मामले में तब के शासक भी अग्रणी थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने छात्राओं की रानी दुर्गावती की शौर्य गाथा विस्तार से बताते हुए कहा कि हमें इस बात का गर्व है कि वे मध्यप्रदेश की महारानी थीं।

महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की लोकमाता ने
सीएम डॉ. यादव ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई के बारे में छात्राओं को बताया कि उन्होंने अपने करीब 28 साल के शासन में देश को शासन व्यवस्था की एक नई परिभाषा सिखाई। उन्होंने जगह-जगह मंदिर बनवाए, घाट बनवाए, यात्रियों के लिए सराय (विश्राम गृह), अन्न क्षेत्र, तीर्थ क्षेत्र बनवाए। महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम करते हुए देवी अहिल्याबाई ने विधवा विवाह कराए। इससे वे तत्समय विधवाओं के जीवन में एक नया सवेरा लेकर आईं। उन्होंने सबके साथ समान रूप से न्याय किया। वे एक अच्छी बेटी, अच्छी बहु, अच्छी पत्नी के साथ एक ममतामयी मां भी थीं।

अहिल्याबाई ने जीवनपर्यंत नारी सशक्तिकरण के लिए काम किया
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देवी अहिल्याबाई को न केवल उनके माता-पिता ने वरन उनके सास-ससुर ने भी अपनी बेटी की तरह पाला था और अपने बेटे से बढ़कर देवी अहिल्याबाई को सत्ता के सूत्र सौंपे, शासन चलाने का प्रशिक्षण भी दिया। अहिल्याबाई ने जीवनपर्यंत नारी सशक्तिकरण के लिए काम किया। उन्होंने तत्कालीन महिलाओं को सशक्त बनाते हुए महेश्वरी साड़ी बनाने में कुशल बनाया। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनीं। महेश्वरी साड़ियां हमें देवी अहिल्याबाई की सौगात है। अहिल्याबाई ने अपनी सास गोतमाबाई से प्राप्त खासगी की रकम से कई मंदिर और घाट बनवाए। महेश्वर को अपनी राजधानी बनाई। वे सच्चे अर्थों में नारी सशक्तिकरण का एक आदर्श व्यक्तित्व थीं। उन्होंने देश को सिखाया कि मंदिर और तीर्थयात्रा सिर्फ पूजा के लिए नहीं होते, इससे पर्यटन बढ़ता है और पर्यटन व देशाटन से आंतरिक संबंध बनते हैं, इससे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा मिलता है।

देवी अहिल्याबाई के बारे में सीएम ने छात्राओं को दी जानकारी
सीएम डॉ. यादव ने छात्राओं को बताया कि देवी अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई 1725 को एक मराठा हिन्दू परिवार में चौंडी नामक गांव में हुआ था, जो आजकल महाराष्ट्र के अहमदनगर में आता है। चूंकि 31 मई को उनके जन्म के 300 साल पूरे हो रहे हैं, यही कारण है कि आज न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरा देश उनका 300वां जयंती वर्ष हर्षोल्लास से मना रहा है। उन्होंने कहा कि 31 मई को स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देवी अहिल्याबाई की स्मृति में आयोजित महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में शामिल होने भोपाल पधार रहे हैं। उन्होंने बेटियों से कहा कि वे कार्यक्रम में आएं और देवी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा लें।

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