तालिबान के अत्याचार से परेशान अफगानिस्तान के नागरिक, हर हफ्ते 30 हजार कर रहे पलायन

विदेश : काबुल। अमेरिकी सेना (US Army) की वापसी के बाद अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी आतंकवादियों (Taliban terrorists) का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच अफगानिस्तान विदेश मंत्रालय (Afghanistan Foreign Ministry) ने कहा है कि तानिबान ने अब तक 193 जिलों और 19 सीमावर्ती जिलों पर अपना प्रभाव जमा लिया है। वहीं तालिबानी आतंकवादियों के अत्याचार से परेशान होकर लोगों ने पलायन (escape) शुरू कर दिया है और हर हफ्ते यहां से करीब 30 हजार लोग दूसरे देशों में जा रहे हैं। बता दें कि तालिबानी आतंकवादियों की हिंसा में अब तक 2 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
बताया जा रहा है कि पलायन को मजबूर लोग अभी अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं, कुछ अपने रिश्देदारों के घर रहे हैं। लोग अवैध तरीकों से सीमा पार करने के लिए तस्करों की भी मदद ले रहे हैं। यूएन के अनुसार इस साल अभी तक लगभग तीन लाख से अधिक लोग अफगानिस्तान से विस्थापित हो चुके हैं। इनमें से धे से ज्यादा लोग अपने घरों को छोड़कर इसलिए भाग गए, क्योंकि अफगानिस्तान से अब विदेशी सैनिकों की वापसी हो रही है।
मिली जानकारी के अनुसार अफगानिस्तान छोड़कर जा रहे सैकड़ों लोग अवैध तरीके से सीमा पार करने के लिए तस्करों की मदद लेने की कोशिश में लगे हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (international migration organization) के मुताबिक मई में अंतरराष्ट्रीय सैनिकों वापसी शुरू हुई है और उसी के बाद से अवैध रूप से सीमा पार करने वाले अफगानों की संख्या में 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कम-से-कम 30 हजार लोग अब हर हफ्ते पलायन कर रहे हैं। कई लोगों ने शिविरों में जाकर शरण ली है और अस्थायी टेंटो में लोगों की बाढ़ आ गई है। हजारों लोग पूरी तरह देश छोड़ने के लिए पासपोर्ट और वीजा सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
अफगान छोड़कर जा रहे नागरिकों से आस-पास के देशों में शरणार्थी संकट पैदा हो सकता है। सहायता एजेंसियों ने पड़ोसी देश और यूरोप को चेतावनी दी है। शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के प्रवक्ता बाबर बलूच ने जुलाई में कहा था, अफगानिस्तान एक और मानवीय संकट के कगार पर है।अफगानिस्तान में शांति समझौते तक पहुंचने और मौजूदा हिंसा को रोकने में नाकामयाबी के कारण विस्थापन होगा।
कोरोना वायरस (corona virus) प्रतिबंधों ने कानूनी और अवैध प्रवास को और अधिक कठिन बना दिया है, क्योंकि देशों ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है और शरणार्थी कार्यक्रमों को वापस ले लिया है, जिससे हजारों प्रवासी खतरनाक रास्तों से यूरोप की यात्रा करने के लिए प्रेरित हुए हैं।