बड़ा खतरा टला: हिंद महासागर में गिरा चीन के अनियंत्रित रॉकेट का मलबा
नई दिल्ली। पिछले हफ्ते लॉन्च हुए चीन के सबसे बड़े रॉकेट (Rocket) के अवशेष धरती के वायुमंडल (Atmosphere) में प्रवेश करने के बाद मलबा हिंद महासागर (Indian Ocean) में जा गिरा। हालांकि वायुमंडल में प्रवेश करते ही मलबे के बड़े हिस्से को नष्ट कर दिया गया था। इससे पहले इसके न्यूजीलैंड (New zealand) के आसपास किसी द्वीप पर गिरने की आशंका जताई जा रही थी। लेकिन साथ ही साइंटिस्ट (scientist) यह भी कह रहे थे कि यह किसी भी समय कहीं भी गिर सकता है। अच्छी बात ये रही है कि रॉकेट के अंशों से किसी को नुकसान नहीं हुआ। भारतीय समयानुसार यह घटना 9 मई यानी रविवार को सुबह करीब 8 बजे के आसपास हुई है।
चीन का यह रॉकेट करीब 100 फीट लंबा है। इसका वजन करीब 21 टन है। पिछली साल मई महीने में चीन का एक रॉकेट पश्चिमी अफ्रीका (West Africa) और अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) में गिरा था। पश्चिमी अफ्रीका के एक गांव को इस रॉकेट ने बर्बाद कर दिया था। हालांकि अच्छी बात ये है इस गांव में कोई नहीं रहता था। अमेरिकी पेंटागन (American pentagon) के मुताबिक इसके गिरने का समय 11 पीएम ॠटळ यानी भारतीय समयानुसार 9 मई की सुबह 4.30 बजे के आसपास। हालांकि वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि यह आठ घंटे पहले या बाद में कहीं भी गिर सकता है।
चीन के इस रॉकेट का नाम है Long march 5 b y 2 । फिलहाल यह रॉकेट धरती के चारों तरफ लो-अर्थ आॅर्बिट (Low-earth orbit) में चक्कर लगा रहा है। यानी यह धरती के ऊपर 170 किलोमीटर से 372 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच तैर रहा है। इसकी गति 25,490 किलोमीटर प्रति घंटा है यानी 7.20 किलोमीटर प्रति सेकेंड। रॉकेट के इस कोर की चौड़ाई 16 फीट है।
चीन ने यह रॉकेट 28 अप्रैल को अपने तियानहे स्पेस स्टेशन को बनाने के लिए अपना सबसे बड़ा रॉकेट लॉन्ग मार्च 5बी (Rocket Long March 5B) छोड़ा था। यह एक मॉड्यूल लेकर स्पेस स्टेशन (Space station) तक गया था। मॉड्यूल को तय कक्षा में छोड़ने के बाद इसे नियंत्रित तरीके से धरती पर लौटना था। लेकिन अब चीन की स्पेस एजेंसी का इस पर से नियंत्रण खत्म हो चुका है।
जमीन पर मौजूद अलग-अलग देशों के राडार इस रॉकेट पर नजर बनाए हुए थे। ताकि अगर यह किसी देश के ऊपर आता है तो पहले ही इसकी सूचना लोगों को दे दी जाए। इसकी गति और लगातार बदल रही ऊंचाई की वजह से यह पता करना मुश्किल हो रहा है कि ये धरती पर कब, किस दिन और कहां गिरेगा। वैसे तो धरती के वायुमंडल में आते ही इसका अधिकतर हिस्सा जलकर खाक हो जाएगा। लेकिन छोटा-मोटा हिस्सा भी आबादी वाले इलाके में गिरा तो तबाही मचा देगा।