सिविल सेवा मात्र केरियर नहीं, लोक सेवकों के पास जनता की जिंदगी बदलने का है सामर्थ्य: शिवराज
भोपाल। प्रदेश की प्रगति, विकास और जन-कल्याण में लोक सेवकों का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश को बीमारू राज्य से विकासशील राज्यों की पंक्ति में खड़ा करने में जिन लोक सेवकों ने योगदान दिया है, मैं उन सभी को प्रणाम करता हूं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात 17वें सिविल सेवा दिवस पर प्रशासन अकादमी में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। सिविल सेवा, मात्र केरियर नहीं यह देश के निर्माण और जनता की सेवा का अभियान है।
सीएम ने अपने संबोधन में कहा कि लोक सेवकों के पास देश एवं प्रदेश को बदलने और जनता की जिंदगी बदलने का सामर्थ्य है। लोक सेवक कैपेसिटी बिल्डिंग की हर समय कोशिश करते रहे और इस भाव के साथ कार्य करें कि सुधार की गुंजाइश हमेशा विद्यमान रहती है। इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित भोपाल में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वन सेवा, राज्य प्रशासनिक सेवा, राज्य पुलिस सेवा और राज्य वन सेवा के अधिकारी उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश में लोक सेवकों ने कोरोना काल में अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। वे डरे नहीं, चुनौतियों को स्वीकार किया और स्वयं को दांव पर लगाकर भी अपने दायित्वों का निर्वहन किया। कर्त्तव्य की बलिवेदी पर कई अधिकारी-कर्मचारी बलिदान हो गए। कई लोक सेवक संक्रमित होने के बाद भी कर्त्तव्य-पथ पर डटे रहे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लोक सेवकों के साथ काम का मुझे सुखद अनुभव है, प्रदेश की टीम पर मुझे गर्व है।
लाड़ली लक्ष्मी योजना और पब्लिक सर्विस डिलीवरी गारंटी एक्ट का उदाहरण देते हुए सीएम ने कहा कि योजनाओं का विचार जनता के बीच से और जनता को राहत देने के उद्देश्य से आता है। योजनाओं को आकार देना और उसका सफल क्रियान्वयन लोक सेवकों पर ही निर्भर करता है। प्रदेश में लागू लाड़ली लक्ष्मी योजना के सफल क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप आज प्रदेश में 43 लाख लाड़ली लक्ष्मियाँ हैं। मध्यप्रदेश की इस योजना को कई राज्यों ने भी अपनाया है। इसी प्रकार पब्लिक सर्विस डिलीवरी गारंटी एक्ट की सराहना संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गई है।
लोक सेवकों को मार्गदर्शन देते हुए सीएम कहा कि हम वर्तमान में जो कर रहे हैं, उससे बेहतर करने के लिए प्रयास करते रहना आवश्यक है। बदलती तकनीक और परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को अपग्रेड करना और स्वयं को दक्ष एवं उपयुक्त बनाना जरूरी है। इसके लिए उपयुक्त प्रशिक्षण लेने के साथ व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करते रहने से ही हम, स्वयं की कार्य क्षमता को निरंतर बेहतर बना सकते हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने समय प्रबंधन और प्राथमिकताओं के निर्धारण में स्वयं अपना उदाहरण भी दिया।