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विदेश में भी ऐसी खुशी कश्मीर को अनुच्छेद 370 (Article 370) से आजादी मिलने की 

वाशिंगटन। भारतीय संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 370 (Article 370) के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के दो साल पूरे होने के बीच भारतीय-अमेरिकी नागरिकों (Indian-American Citizens) के एक समूह ने कहा है कि पिछले दो साल में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों (Terrorist Attack in Jammu and Kashmir) की घटनाओं में 40 प्रतिशत की कमी हुयी है।

‘वर्ल्ड हिंदू काउंसिल ऑफ अमेरिका’ (World Hindu Council of America) और ‘ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा’ (Global Kashmiri Pandit Diaspora) की पहल ‘हिन्दू पॉलिसी रिसर्च एंड एडवोकेसी कलेक्टिव’ (Hindu Policy Research and advocacy Collective) ने इस मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन 29 जुलाई को किया गया था और उसके साथ ही दो सप्ताह तक चलने वाले ‘कश्मीर फारवर्ड’ (Kashmir Forward) कार्यक्रम की शुरूआत हुयी।

कैपिटॅल हिल (Capital Hill)  (अमेरिकी संसद भवन परिसर) में आयोजित इस कार्यक्रम के आयोजकों में प्रवासी कश्मीरी और अफगान (Afghan) समुदायों के सदस्य भी शामिल थे। कार्यक्रम के आयोजन के समय अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन भारत की यात्रा पर थे।

‘ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा’    समूह ने एक बयान में कहा कि पिछले दो साल में जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की घटनाओं में 40 प्रतिशत की कमी आयी है। भारत सरकार ने भी हाल ही में लोकसभा को बताया था कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से वहां आतंकी वारदातों में कमी आयी है।  घाटी में बीते कुछ ही समय में बड़े पैमाने पर आतंकियों को सुरक्षा बल मौत के घाट उतार चुके हैं।  हाल ही में एक और सख्त फैसला किया गया है। यह तय हुआ है कि कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पथराव करने वालों को सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी। ऐसे लोगों के पासपोर्ट के वेरिफिकेशन पर भी रोक लगा दी गयी है।  यह तथ्य सामने आ चुका है कि कश्मीर में कुछ अलगाववादी सुरक्षा बलो पर पत्थर फेंकने के लिए स्थानीय लोगों को हर रोज 500-500 रूपए दिया करते थे।  इस फंडिंग के तार पाकिस्तान से जुड़ने के पुख्ता सबूत भी मिले हैं।

विज्ञप्ति के अनुसार इस कार्यक्रम में कांग्रेस के कर्मचारियों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के पदाधिकारियों और मीडिया जगत के लोगों ने भाग लिया। उन्हें इस क्षेत्र में पाकिस्तान के सैन्य और खुफिया तंत्र द्वारा समर्थित इस्लामी कट्टरपंथियों की बढ़ती उपस्थिति के कारण महसूस किए गए आतंकवाद के हानिकारक प्रभाव की प्रत्यक्ष जानकारी दी गयी।

भारत सरकार ने पिछले सप्ताह संसद में कहा था कि पिछले दो साल में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हिंसा की घटनाओं की संख्या में कमी आयी है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा, “आतंकवादी घटनाओं की संख्या में 2019 की अपेक्षा 2020 में 59 प्रतिशत और जून, 2020 तक की इसी अवधि के साथ तुलना में जून, 2021 तक 32 प्रतिशत की कमी आयी है।’’

भारत ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।

कश्मीर में उठाये गए इस कदम का व्यापक रूप से स्वागत हुआ है। हालांकि देश के कुछ विपक्षी दल इसका विरोध अब भी कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री रह चुकीं पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अब भी इस बात की शिकायत करती हैं कि यह कदम गलत था तथा इसमें आम लोगों की भावना का ध्यान नहीं रखा गया है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पाकिस्तान को बहुत बड़ा झटका लगा है।    क्योंकि इस बदलाव के बाद से उसके लिए घाटी में अलगाववादी और आतंकवादी वारदातों का संचालन पहले की तरह करना आसान नहीं रह गया है। इसके साथ ही बीते कुछ समय में अलगाववादी नेताओं के आतंकी कनेक्शन पकडे गए हैं और उनके यहां पैमाने पर टेरर फंडिंग के सबूत भी मिले हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भी कई अलगाववादी नेताओं के यहां छापेमारी कर उनकी गंभीर किस्म की अनियमितताओं को उजागर किया है

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