ताज़ा ख़बरसियासी तर्जुमा

पायलट का गहलोत पर आखिरी वार! बनाएंगे अब नई पार्टी, इस दिन करेंगे ऐलान

राजस्थान में सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच जारी राजनीतिक जंग शायद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। लोगों के मन में सवाल थे कि क्या पायटल कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल होंगे? क्या पायलट नई पार्टी बनाएंगे? अब शायद लोगों के मन में उठ रहे इन सवालों का जवाब पायटल जल्द देने वाले हैं।

राजस्थान में सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच जारी राजनीतिक जंग शायद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। लोगों के मन में सवाल थे कि क्या पायटल कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल होंगे? क्या पायलट नई पार्टी बनाएंगे? अब शायद लोगों के मन में उठ रहे इन सवालों का जवाब पायटल जल्द देने वाले हैं। ऐसी खबर है कि गहलोत से जारी राजनीति विवाद के बीच सचिन पायलट ने ना केवल अलग राह अपनाने का फैसला किया है, बल्कि नई पार्टी बनाकर अशोक गहलोत को आगामी विधानसभा चुनावों में धूल चटाने की रणनीति भी बना ली है। पायटल अपनी नई पार्टी की घोषणा 11 जून को कर सकते हैं। जिसका नाम प्रगतिशील कांग्रेस हो सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान में दो राजनीतिक दलों का पंजीकरण कराया गया है। उम्मीद है कि इन्हीं में से कोई एक नाम 11 जून को सचिन पायलट अपनाते हुए नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं।

जमीन मजबूत करने में जुटे पायलट

यही नहीं, राजस्थान में अपनी जमीन को मजबूत करने के लिए सचिन पायलट रथयात्रा निकालने वाले हैं। इसके लिए नई पार्टी के संभावित नाम के आधार पर रथ को भी तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि नए फैसले के साथ ही पायलट ने अपने क्षेत्रीय संगठन को मजबूत करने के लिए दिन रात एक कर दी हैं। नई पार्टी के ऐलान से पहले सचिन पायलट इस समय मंदिरों में दर्शन पूजन कर रहे हैं। सोमवार को वह राज्यसभा सांसद विवेख तनखा के साथ मैहर में मां शारदा का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि जल्द ही वह जयपुर में एक बड़ी रैली करने वाले हैं। उधर, अचानक सचिन पायलट के इस फैसले से कांग्रेस आलाकमान सकते में हैं।

पायलट के फैसले से पार्टी को क्या नुकसान ?

पाटी को अब तक लग रहा था कि सचिन किसी हाल में पार्टी से बाहर नहीं जा सकते, लेकिन नई स्थिति में पार्टी आलाकमान उनके अगले कदम पर नजर गड़ाए बैठी है। पार्टी पदाधिकारियों का मानना है कि सचिन पायलट के इस कदम से पार्टी को इस चुनाव में बड़ा नुकसान होने वाला है। बता दें कि राजस्थान में पिछला विधानसभा चुनाव सचिन पायलट की अगुवाई में लड़ा गया था। इस समय कहा जा रहा था कि बहुमत मिलने पर पायलट मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद दोनों के बीच तनाव की खबरें आने लगी थीं। वहीं जुलाई 2020 में तो सचिन पायलट ने खुलकर बगावत कर दी थी। उस समय वह अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर के गेस्टहाउस में आ गए थे। हालांकि उस समय उपमुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चतुराई दिखाते हुए सरकार को बचा लिया था। तब से लगातार दोनों नेताओं के बीचवाकयुद्ध चल रहा है। अब सचिन पायलट के नई पार्टी बनाने के इस फैसले से चुनावी साल से गुजर रहे राजस्थान की राजनीतिक हवा में अचानक गर्मी बढ़ गई है।

Web Khabar

वेब खबर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button