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हिंसा भड़काने के आरोपी नवलखा को सबसे बड़ी कोर्ट से बहुत बड़ा झटका 

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध (Elgar Parishad Maoist link) मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति यूयू ललित  (Justice UU Lalit) और न्यायमूर्ति के एम जोसफ (Justice KM Joseph) की एक पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय (High Court of Bombay) के फैसले के खिलाफ नवलखा कि याचिका खारिज कर दी। उच्च न्यायालय ने मामले में नवलखा को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

न्यायमूर्मि जोसेफ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अदालत नवलखा कि याचिका खारिज कर रही है। शीर्ष अदालत ने नवलखा की जमानत याचिका पर 26 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था। उच्चतम न्यायालय ने तीन मार्च को नवलखा की उस जमानत याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) (National Investigative Agency) से जवाब मांगा था, जिसमें दावा किया गया था कि मामले में आरोपपत्र तय समयसीमा में दायर नहीं किया गया और इसलिए वह जमानत के हकदार हैं।





नवलखा के खिलाफ जनवरी 2020 को दोबारा प्राथमिकी दर्ज की गई थी और पिछले साल 14 अप्रैल को ही उन्होंने एनआईए के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। वह 25 अप्रैल तक 11 दिन के लिए एनआईए की हिरासत में रहे और उसके बाद से ही नवी मुंबई के तलोजा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।

दिया था भड़काऊ भाषण
पुलिस के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसम्बर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया था, जिससे अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा (Koregaon Bhima)  में हिंसा भड़की थी। यह भी आरोप है कि इस कार्यक्रम को कुछ मओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था।

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