निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुआ सेशन, बिजनेस वुमन्स ने बताई अपनी जर्नी
इंदौर में आयोजित 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के पांचवें सेशन की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीयों का कर्तव्य कहीं भी हो, लेकिन उनकी आत्मा भारत में ही रहती है।
मध्यप्रदेश : इंदौर में आयोजित 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के पांचवें सेशन की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीयों का कर्तव्य कहीं भी हो, लेकिन उनकी आत्मा भारत में ही रहती है। वुमन इम्पॉवरमेंट को लेकर भारत काफी आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वन अर्थ वन फैमिली मिशन काम कर रहा है। हेल्थी लिविंग के लिए भारत में होने वाला रागी, ज्वार बहुत ज्यादा उपयोग है, जो भारत के बाहर एक्सपोर्ट हो रहा है। आगे उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं को खुद के काम करने को लेकर काफी स्ट्रगल करना पड़ा है। इसी के चलते पीएम मोदी ने पीएम मुद्रा स्कीम की शुरुआत की। ताकि भारत के लोग बिजनेस के लिए खुद को बढ़ावा दे सकते है। आगे उन्होंने लोगों को अमृत काल में भाग लेने का आग्रह भी किया।
17th Pravasi Bharatiya Divas Convention 2023
Plenary Session V : Harnessing the Potential of Women Diaspora Entrepreneurs towards an Inclusive Approach to Nation Building.#PBDIndore https://t.co/XeRzUiLLla
— Jansampark MP (@JansamparkMP) January 10, 2023
डॉ. पूनम गुप्ता का संबोधन
सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉक्टर पूनम गुप्ता ने बताया कि, वे दिल्ली में जन्मी और वहीं पली बढ़ीं, लेकिन शादी के बाद उन्हें स्कॉटलैंड शिफ्ट होना पड़ा। जहां से उन्होंने 2003 में बिजनेस की शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि वो वुमन एजुकेशन को लेकर काम कर रही है और उनकी कंपनी ऐसे प्रोडक्ट्स बना रही है जो महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी है। आगे उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी 60 देशों में प्रोडक्ट्स को एक्सपोर्ट्स कर रही है। उनका कहना है कि चूंकि वो भारतीय है, इसलिए भारत के साथ वो ज्यादा इंटरनेशनल बिजनेस करना चाहती है।
मीतू भौमिक का संबोधन
मीतू भौमिक मेलबर्न में निवासरत हैं। वे शादी के बाद अपने पति के साथ वहीं शिफ्ट हो गई थीं। उन्होंने बताया कि मेलबर्न बेस्ड उनकी एक छोटी सी कंपनी है। जिसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया में हिंदी फिल्में प्रसारित हो रही है। पहले हिंदी फिल्में प्रसारित नहीं हो पाती थी। जिसकी वजह से उन्होंने एक कंपनी खोलने का प्लान बनाया। जिसके बाद आज ऑस्ट्रेलिया में हिंदी के अलावा तेलगु, मलयालम और कन्नड़ फिल्में भी प्रसारित हो रही है। आगे उन्होंने बताया कि आज ऑस्ट्रेलिया वर्ल्ड में तीसरे नंबर पर है। जहां भारतीय फिल्मों का प्रसारण हो रहा है और तेजी से कमाई कर रहा है।
कविता परमार का संबोधन
कविता परमार स्पेन में निवासरत हैं और वे टेक्सटाइल्स इंडस्ट्री में अपना परचम लहरा रही है। उन्होंने बताया कि आज हर कोई डिजाइनर बनने की चाह रखता है, लेकिन रिसोर्सेज कम होने की वजह से उनका ड्रीम पूरा नहीं हो पाता है। मैं पॉलिटिशियन बनना चाहती है, लेकिन मेरे पिता ने कहा कि ये प्रोफेशन ठीक नहीं है। मेरे पिता आर्मी ऑफिसर थे और वे काफी नॉलेज रखते थे, इसलिए उन्होंने मेरे इस डिसिजन को रिफ्यूज कर दिया था।
सजनी अनकारेड्डी का संबोधन
सजनी मूलत: हैदराबाद की निवासी थीं, लेकिन शादी के बाद वे अपने पति के साथ कई जगह निवास करने के बाद जैम्बिया की स्थानीय निवासी बन गईं। उन्होंने बताया कि 20 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी और बहुत ही कम उम्र में उन्होंने बिजनेस सेट किया था। जो आज काफी व्यापक स्तर पर फैल चुका है।
मारिया सिद्दीका आश्ररा का संबोधन
मारिया सिद्दीका आश्ररा तजाकिस्तान से हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता आर्मी में थे, जिस वजह से वे पूरे भारत में रह चुकी थीं। चूंकि उनका बच्चा स्पेशल चाइल्ड था और उसने स्पेशल स्कूल में जाने से मना कर दिया था। इस वजह से उन्होंने अपने घर में ही किंडर स्कूल की शुरुआत की थी। जिसे बच्चों के पेरेंट्स ने इतना पसंद किया कि आज उनका स्कूल 12वीं क्लास तक जनरेट हो रहा है। मारिया के इस काम के लिए वित्त मंत्री ने उनको सराहा।
देवकी खिमजी का संबोधन
देवकी खिमजी ओमान से हैं। उन्होंने बताया कि आज उनके काम की वजह से ओमान में 30 हजार भारतीय निवासरत है। जब वे कॉलेज के बाद अपने फ्यूचर प्लान को लेकर सोच रही थी, तब उनके पिता ने उनके प्लान को निरस्त कर दिया था और पैसे देने से भी इनकार कर दिया था, क्योंकि ओमान में तब कंस्ट्रक्शन कंपनी में महिलाएं कार्यरत नहीं थी। उनके प्लान की वजह से उन्हें डेढ़ साल तक भटकना पड़ा था, लेकिन किसी भी कंपनी ने उन्हें लोन अप्रूव नहीं किया था, लेकिन फाइनली जब उन्हें लोन अप्रूव हुआ और उन्होंने अपने प्रोजेक्ट पर काम किया, तो उन्होंने 6 महीने में ही अपना लोन चुका दिया। जिसके बाद उनके पिता ने खुद उन्हें अपनी कंपनी रन करने के लिए ओमान बुला लिया था।