विश्लेषण

एनडीए सरकार के सात साल: मोदी की अगुवाई में बढ़ा भाजपा का सियासी ग्राफ

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवाई में एनडीए सरकार (NDA Government) 30 मई को सात साल पूरे करने जा रही है। नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आते ही भाजपा लगातार आगे बढ़ती चली गई और एक के एक राज्य में पार्टी ने अपनी सरकार बनाई। मौजूदा समय में भाजपा का देश के आधे से ज्यादा राज्यों में या तो कब्जा है या फिर सहयोगी दल के रूप सरकार में काम कर रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के बाद से अब तक देश में 10 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से BJPके नेतृत्व वाले गठबंधन को सिर्फ चार राज्यों में ही सरकार बनाने का मौका मिला, जबकि दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन भाजपा असम में सत्ता बचा पाई और पुडुचेरी में जीत की ओर कदम बढ़ाया है और सरकार में सहयोगी दल बनी है।

मोदी के केंद्र की सत्ता में 2014 के आने के बाद एक-एक कर राज्य की सियासी जंग (Political battle) भाजपा फतह करने में जुट गई। BJP का सियासी उफान मार्च 2018 तक था, जब देश के 21 राज्यों में भाजपा के नेतृत्व वाले NDA की सरकार थी। इस तरह से देश के 71 फीसदी आबादी और 80 फीसदी क्षेत्र पर भाजपा या उसके सहयोगी दल काबिज थे। इसकी तुलना अक्सर इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के दौर से की जाती है, लेकिन अब संख्या घटकर 18 हो गई है। भाजपा इन डेढ़ दर्जन राज्यों में अपने दम पर सरकार चला रही है या सहयोगी के तौर पर है।





साल 2019 में भाजपा को लगा झटका
2019 का साल चुनावी साल था। देश के आम चुनाव (General election) के साथ आंध्र प्रदेश, सिक्किम, ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश में चुनाव हुए। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतकर सबके हैरान कर दिया था, लेकिन राज्यों के चुनाव में उसे सिर्फ अरुणाचल में ही सत्ता मिली। 2019 के आखिर में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव हुआ तो भाजपा को बड़े झटके लगे।

महाराष्ट्र में शिवसेना (Shivsena) अलग हो गई, चुनाव नतीजों के कई दिनों बाद तक राजनीतिक ड्रामा (Political drama) चला। भाजपा की सरकार भी बनी, लेकिन दो दिन में गिर गई। अंतत: शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी ने सरकार बना ली। वहीं, हरियाणा में भाजपा बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई, जिसके चलते दुष्यंत चौटाला की जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाया। झारखंड में भाजपा की करारी हार हुई और सत्ता गवांनी पड़ गई। हालांकि, साल 2018 में कर्नाटक की सत्ता भाजपा ने गवां दी थी, लेकिन एक साल के बाद भाजपा ने ‘Operation Lotus’ के जरिए उससे छीनने में कामयाब रही।

साल 2020 में हुए चुनाव नतीजे
साल 2020 की शुरूआत ही दिल्ली के विधानसभा चुनाव के साथ हुए। नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ जारी आंदोलन के साये में हुए दिल्ली में चुनाव में भाजपा ने एड़ी चोटी का अपना जोर लगाने के बाद भी अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) को मात नहीं दे सकी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन 2015 के तुलना में भाजपा 3 सीटों से बढ़कर 8 पर पहुंच गई।





वहीं, भाजपा ने 2018 में मध्य प्रदेश में अपनी सत्ता गवां दी थी, लेकिन 15 महीने के बाद भी शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के नेतृत्व में भाजपा दोबारा से कांग्रेस (Congress) के हाथों सत्ता छीनने में कामयाब रही। हालांकि, भाजपा की सरकार बनवाने में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की अहम भूमिका रही। इसके अलावा नंवबर 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए, जहां भाजपा के बदौलत NDA सत्ता बचाने में सफल रहा। बिहार में भाजपा को 2015 से ज्यादा सीटें मिली जबकि JDU को कम। इसके बाद भी भाजपा ने CM की कुर्सी नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को सौंप दी।

2021 में पूर्वोत्तर के दुर्ग सुरक्षित
इस साल कोरोना संकट (Corona crisis) के बीच देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें केरल, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और पुडुचेरी शामिल थे। भाजपा ने इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा ताकत पश्चिम बंगाल में TMC को मात देने में लगाया था, लेकिन ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के हाथों से सत्ता नहीं छीन सकी। हालांकि, BJP का सियासी ग्राफ बंगाल में बढ़ा है और पार्टी 3 सीटों से बढ़कर 74 पर पहुंच गई है। वहीं, असम में भाजपा अपनी सत्ता बचाने में कामयाब रही तो पुडुचेरी में सहयोगी दल के तौर पर सरकार में शामिल है।अ

Web Khabar

वेब खबर

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button