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मुस्लिमों को अपना मित्र बनाएगी भाजपा, हर सीट पर 5000 अल्पसंख्यकों को जोड़ने का बड़ा प्लान

देश में लोकसभा चुनाव भले ही अगले साल होंगे। लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से ताना-बाना बुनना शुरु कर दिया है। खासतौर पर भाजपा ने अभी से पूरी तरह कमर कस ली है।

देश में लोकसभा चुनाव भले ही अगले साल होंगे। लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से ताना-बाना बुनना शुरु कर दिया है। खासतौर पर भाजपा ने अभी से पूरी तरह कमर कस ली है। भाजपा की नजर हर वर्ग और समुदाय पर है। हमेशा हिन्दुत्व के सहारे सत्ता हासिल करने वाली भाजपा अब मुस्लिम समुदाय पर भी फोकस करने में जुट गई है। जो मुस्लिम समुदाय हमेशा भाजपा का कट्टर विरोधी माना जाता है। उसी समुदायक को भाजपा अब अपना मित्र बनाना चाहती है। जिसके लिए बीजेपी ने एक विशेष प्लान तैयार कर लिया है। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी मुस्लिम समुदाय के दिलों में भी अपनी जगह बनाना चाहती  है। जिसके लिए अब बीजेपी ने देश की मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर मुसलमानों को ‘मोदी मित्र’ बनाने की रणनीति बनाई है। मतलब मुस्लिमों की 14 फीसदी आबादी को भी भाजपा अपने साथ जोड़ना चाहती है। भाजपा ने देश की ऐसी 65 लोकसभा सीटों को चुना है। जहां मुस्लिमों की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है। इन सीटों पर भाजपा ने 5000-5000 मुस्लिमों को मोदी मित्र बनाने का लक्ष्य रखा है। जो इनफ्लुएंसर्स की भूमिका निभा सकते हों। ये लोग बीजेपी के नहीं होंगे। अलबत्‍ता, वे होंगे जिन्‍हें मोदी सरकार की वेलफेयर स्कीम का फायदा हुआ है। या फिर प्रधानमंत्री के कामों से प्रभावित हैं। ईद के बाद यानि 25 अप्रैल को बीजेपी का अल्पसंख्यक मोर्चा इस अभियान का आगाज कर देगा। जो एक साल तक चलेगा। पार्टी ने 15 मार्च से ही ‘सूफी संवाद महाअभियान’ की भी शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य सूफी समुदाय के लोगों को भाजपा से जोड़ना है।

इस तरह चलेगा अभियान

भाजपा सूत्रों के अनुसार, पहले जिला स्तर और बाद में ब्लॉक स्तर पर बनाए जाने वाले इन ‘मोदी मित्र’ कार्यकर्ताओं के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों के हर मुस्लिम मतदाता के घर तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी। लोगों को केंद्र सरकार के कार्यों और पीएम के संदेश को उन तक पहुंचाते हुए उन्हें भाजपा से जोड़ने की रणनीति अपनाई जाएगी। देशभर में मुस्लिमों के साथ जनसंपर्क अभियान शुरू किया जाएगा। ताकि पार्टी के साथ मुसलमानों को भी जोड़ा जा सके। भाजपा मुस्लिमों के घर-घर में जाकर मोदी सरकार की नीतियों, योजनाओं और कार्यों से भी अवगत कराएगी। हर विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा क्षेत्र में ऐसे तमाम मुस्लिम समुदाय के लोगों की भाजपा तलाश करेगी, जो किसी भी पार्टी से जुड़े नहीं हैं। वो न ही बीजेपी के सदस्य हैं, न ही कांग्रेस या अन्य किसी पार्टी के, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की नीतियों से जरूर प्रभावित हैं। भाजपा को उम्मीद है कि ऐसे लोग हर क्षेत्र में 5 से 10 हजार मिल जाएंगे। इसके लिए पार्टी ने उन जगहों की पहचान की है, जहां मुस्लिमों की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है। दरअसल भाजपा मुस्लिम समुदाय पर काफी समय से फोकस कर रही है। भाजपा विभिन्न त्योहारों के माध्यम से भी मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने का काम कर चुकी है। पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को केरल के मुस्लिम और ईसाई परिवारों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने का निर्देश दिया है। भाजपा कार्यकर्ता मुस्लिम समुदाय के इलाकों में इस्लामिक त्योहारों पर पहुंच रहे हैं और उन्हें अपने घर भी आमंत्रित कर रहे हैं। पार्टी को लगता है कि इससे वह वामपंथी किला भेदने में कामयाब रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसके संकेत दे चुके हैं।

समाज पर प्रभाव डालने वालों पर नजर

डॉक्‍टर, इंजीनियर, सोशल वर्कर, जर्नलिस्‍ट, प्रोफेसर ये लोग कोई भी हो सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो ये लोग राजनीतिक एक्टिविस्ट नहीं होंगे हैं, लेकिन समाज पर प्रभाव डालने की ताकत रखते हैं। इन्हें पार्टी से जोड़ने के लिए ‘मोदी मित्र’ बनाया जाएगा। ताकि मोदी सरकार के संदेश और नीतियों को मुसलमानों के बीच अच्छे तरीके से डिलीवर कर सकें। भाजपा की योजना हर एक लोकसभा में मोदी मित्र बनाने की है।और फिर हर एक लोकसभा सीट पर उनका सम्मेलन करने की योजना भी है।

मुस्लिम आबादी सियासी तौर पर महत्वपूर्ण

बता दें कि देश में मुसमलानों की आबादी 14 फीसदी है, जो सियासी तौर पर काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से बीजेपी इस कोशिश में लगी है कि मुसलमानों के बीच अपनी जगह बनाए, लेकिन मुस्लिमों का दिल अभी तक नहीं पसीजा है। बीजेपी इस बात को बखूबी जानती है कि अगर वह इस समुदाय को भी अपने साथ जोड़ ले तो उसके लिए आगे का रास्‍ता और भी आसान हो जाएगा। इसीलिए बीजेपी मुस्लिमों के दिल में जगह बनाने के लिए कई तरह से काम कर रही है। पसमांदा मुस्लिमों को फोकस करने के से लेकर सूफी सम्मेलन और शिया मुस्लिमों को भी जोड़ने की कवायद कर रही है।

मुस्लिम बहुल सीटों पर खिला कमल

देश भर की कुल 543 लोकसभा सीटों में से 80 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से अधिक है। जबकि 65 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 20 फीसदी से ज्यादा वाली कुल 80 सीटों में से 58 सीटों पर जीत हासिल की थी और 22 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था। वहीं, 17वीं लोकसभा में 27 सीटों पर मुस्लिम सांसद चुनकर आए थे। बीजेपी को मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत 2014 से मिलनी शुरू हुई, जिसके पीछे पीएम मोदी का चेहरा और अमित शाह की रणनीति मानी जाती है।

इन मुस्लिम बहुल सीटों पर नजर

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने मुसमलानों को ‘मोदी मित्र’ बनाने के लिए जिन 65 मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों की पहचान की, उनमें उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से 13-13 सीटें शामिल की गई हैं। जम्मू-कश्मीर से पांच, बिहार से चार, केरल और असम से छह-छह, मध्य प्रदेश से तीन, तेलंगाना और हरियाणा से दो-दो और और महाराष्ट्र और लक्षद्वीप से एक-एक सीट शामिल हैं। इन सीटों पर बीजेपी के साथ-साथ आरएसएस से जुड़े ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ मुसलमानों के साथ ‘संवाद और संपर्क’ कर रहा है। अब ऐसे में देखना है कि मोदी मित्र के बहाने बीजेपी क्या 2024 में मुस्लिमों के बीच अपनी पैठ बना पाएगी?

 

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