सिंधिया गुट के कारण मुश्किल में भाजपा, कांग्रेस ने नाम किए फाइनल
भोपाल – मध्य प्रदेश में लंबे समय से टलते आ रहे नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही प्रत्याशी चयन में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सत्ताधारी दल बीजेपी से कई कदम आगे निकलती नजर आ रही है। भाजपा अभी निकाय चुनाव को लेकर प्रत्याशी चयन को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाई है। लेकिन कांग्रेस ने प्रदेश के 16 नगर निगमों में महापौर पद के प्रत्याशी का चयन लगभग पूरा कर लिया है। कांग्रेस को अब केवल उनके नामों क घोषणा भर करनी है। कांग्रेस की इस तैयारी को लेकर पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक सज्जन सिंह ने कहा कि जब मध्य प्रदेश में हमारी सरकार थी तब मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में हमने निकाय चुनाव के प्रत्याशी चयन की एक्सरसाइज पूरी कर ली थी। कांग्रेस सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक पार्टी मौजूदा विधायकों पर ही नगरीय निकाय चुनाव में दांव लगाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व इंदौर सहित दूसरे निगमों के लिए प्रत्याशियों के नाम लगभग फाइनल कर दिए हैं। उधर ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के कारण बीजेपी अभी तक इंदौर जैसे बड़े शहर के लिए भी पार्टी प्रत्याशी का नाम फाइनल नहीं कर पाई है।
इन्हें मिलेगा कांग्रेस की ओर से मौका
इंदौर – विधायक संजय शुक्ला
भोपाल – विभा पटेल, पूर्व महापौर
ग्वालियर – विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार
उज्जैन – विधायक महेश परमार
सागर – सुनील जैन
कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व की ओर से इन नामों पर लगभग सहमति बन चुकी है, केवल नामों की घोषणा होना भर बाकी है। कांग्रेस की इस फुर्ती को लेकर कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि जब हम सरकार में थे तब ही हमने इन जिलों में प्रभारी तैनात कर नाम फाइनल कर लिए थे। अब केवल अंतिम मुहर और नाम फाइनल होना बाकी है।
बीजेपी दुविधा में
भोपाल सीट के लिए बीजेपी की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रहीं हैं। भाजपा इस सीट से एक बार पूर्व महापौर और वर्तमान विधायक कृष्णा गौर को मौका देने के मूड में नजर आ रही है। लेकिन कृष्णा गौर ने साफ कर दिया है कि वे अब आगे बढ़ने की मूड में है और पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहती है। वे पहले महापौर रह चुकी है और अब विधायक है। ऐसे में पार्टी भोपाल में किसी योग्य उम्मीदवार की तलाश में है।
भाजपा की मुश्किल मजे में कांग्रेस
राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी का दामन थामने के बाद प्रदेश में निकाय चुनाव पहली बार हो रहे हैं। ऐसे में सिंधिया कैम्प पूरी कोशिश कर रहा है कि उनके लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकट मिल पाएं। उधर बीजेपी का पुराना कार्यकर्ता जो लंबे समय से टिकट के लिए मेहनत कर रहा था वो भी टिकट हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। सिंधिया गुट के चलते ही बीजेपी आलाकमान को हर फैसला लेने में देरी हो रही है।