विपक्षी एकता की गुंजाइश को भी खत्म करना चाहती है बीजेपी, NDA का विस्तार कर कुछ इस तरह निकालेगी विपक्षी एकता की हवा।
जब-जब लोकसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज होने लगती है,तब-तब विपक्षी एकता का शुर बुलंद होने लगता है।लेकिन जब चुनाव होते हैं। तो विपक्षी एकता धरी रह जाती है। ऐसा ही कुछ इस बार होता दिख रहा है।लेकिन फिर भी बीजेपी अलर्ट है।

बृजेश रघुवंशी
आगामी लोकसभा चुनाव में कौन बाजी मारेगा, क्या बीजेपी फिर इतिहास दोहराएगी या विपक्षी एकता का नारा फिर बुलंद होगा। ऐसे सवाल तो चुनाव से पहले सभी के मन में उठते हैं। विपक्ष भी चुनाव से पहले विपक्षी एकता का दावा करता है। तो बीजेपी खुद अपने आप को इतना मजबूत समझती है कि उसे अब किसी दूसरे दल का सहारा नहीं चाहिए। लेकिन फिर भी बीजेपी फूंक-फूंक कर कदम रखती है। वह जानती है पूरा विपक्ष भी एक हो जाए, तो भी बीजेपी इतनी मजबूत है कि वो 2024 में फिर केंद्र में अपनी दम पर सरकार बना सकती है। लेकिन फिर भी बीजेपी ऐसा कोई भी रिक्श बिल्कुल नहीं लेना चाहेगी। इसलिए बीजेपी ने अभी से एनडीए का कुनबा बढ़ाने पर जोर देना शुरु कर दिया है। 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव को देखते हुए, बीजेपी NDA का कुनबा आगे बढ़ाने की दिशा में बढ़ती नजर आ रही है। बीजेपी का विकास से सहमत विरोधी दलों को साधने पर जोर है। वैचारिक विरोध के बावजूद मोदी सरकार के विकास के एजेंडे पर राजी दलों को गठबंधन में लाने की सहमति पार्टी में बन चुकी है। जिन राज्यों में पार्टी अभी मजबूत स्थिति में नहीं है, वहां स्थानीय दलों से गठबंधन से परहेज नहीं होगा। मगर पार्टी के एक बड़े नेता कहते हैं कि भाजपा, खुद से गठबंधन की पहल नहीं करेगी।क्योकि पार्टी खुद मजबूत स्थिति में है।
एकता से पहले बिखरा विपक्ष
बीजेपी भले ही एनडीए का कुनबा बढ़ाने पर जोर दे रही हो,लेकिन यह बात और है कि अभी बीजेपी को अगले लोकसभा चुनाव में टक्कर देने के लिए किसी भी विपक्षी पार्टी में कोई जमीनी मजबूती नहीं दिखती और न ही किसी विपक्षी एकता की संभावना की गुंजाइश दिख रही है।उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष अभी से बिखरा हुआ नजर आ रहा है। हालांकि अभी लोकसभा चुनाव में काफी वक्त है, मगर इससे पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस लिहाज से बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की परीक्षा विधानसभा चुनाव में भी होगी। लेकिन अभी फिलहाल सपा, बीएसपी,जेडीयू, और राजद सब अलग-थलग पड़े नजर आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में विपक्ष पूरी तरह से बिखरा हुआ नजर आ रहा है।बीएसपी चीफ मायावती कह चुकी है कि नौ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और फिर आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी किसी से भी गठबंधन नहीं करेगी। वही मध्य प्रदेश में भी इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। हालाकि यहां सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होगा।लेकिन एमपी में सपा ने सभी 230 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला अभी से कर लिया है।मतलब यहां भी विपक्षी एकता को झटका लगा है। वही बिहार में जेडीयू और आरजेडी के गठबंधन की बात करें, तो ये गठबंधन नागालैंड विधानसभा चुनाव में बिखरा हुआ नजर आ रह है। बिहार में महागठबंधन की सरकार है, लेकिन बिहार से बाहर जेडीयू और आरजेडी साथ नहीं हैं। दोनों पार्टियों ने नागालैंड में अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है।जिससे साफ है कि विपक्षी एकता का नारा अभी कहीं से कहीं तक मजबूत होता नहीं दिख रहा है। लेकिन फिर भी बीजेपी यह मानकर चल रही है कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की गुंजाइस बनती भी है, तब वह क्या करेगी। इसलिए उसने अभी से एनडीए का कुनबा बढ़ाने पर जोर देना शुरु कर दिया है।
बीजेपी की इन दलों पर नजर
सूत्रों का कहना है कि भाजपा मिशन दक्षिण को सफल बनाने के लिए गठबंधन की शर्तों को उदार करेगी। खासकर पुराने सहयोगियों से गठबंधन में।आंध्र प्रदेश में तेलगु देशम पार्टी, अभिनेता पवन कल्याण की जनसेना को सहयोगी बनाने को लेकर भी चर्चा तेज है। माना जा रहा है कि टीडीपी से गठबंधन कर भाजपा आंध्र में अपनी पैठ मजबूत कर सकती है। उसका फोकस तेलंगाना पर भी है, ऐसे में बीआरएस से मुकाबले के लिए यदि टीडीपी को साथ लेना पड़े, तो भाजपा इससे परहेज नहीं करेगी। वही उत्तर-पूर्व के चार राज्यों में चुनाव हैं। यहां त्रिपुरा में भाजपा की सरकार है, जबकि नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में गठबंधन की सरकार है। इन तीनों राज्यों में गठबंधन के मौजूदा घटक दलों के साथ तालमेल बेहतर करने और नए सहयोगियों को जोड़ने की रणनीति पर भाजपा काम कर रही है। वही महाराष्ट्र की राजठाकरे की पार्टी मनसे, मध्यप्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, जम्मू कश्मीर में सज्जाद लोन की पार्टी को एनडीए में भाजपा शामिल कर सकती है। खबर है कि इन पार्टियों से बीजेपी नेताओं की लगातार बात भी चल रही है और उम्मीद की जा रही है कि इन पार्टियों को लेकर बीजेपी जल्द ही कोई बड़ी घोषणा कर सकती है।उधर बीजेपी की नजर बंगाल पर भी है, लेकिन अभी वहां किसी भी पार्टी को एनडीए में शामिल करना कठिन है। लेकिन उत्तरी बंगाल में कई ऐसी छोटी-छोटी पार्टियां हैं। जो अलग राज्य की मांग को लेकर संघर्ष कर रही हैं। बीजेपी उन पार्टियों को एनडीए का हिस्सा बनाने की चाहत रखती है।खबर तो यह भी है कि उत्तरी बंगाल की दो पार्टियां बीजेपी के साथ आने को तैयार भी हैं। उधर तेलंगाना, उत्तराखंड और कर्नाटक की भी कुछ पार्टियों को एनडीए में लाने की योजना है, ताकि आगामी लोकसभ चुनाव में कोई कमी न रह जाए। पार्टी सूत्रों का कहना है कि आगामी लोकसभ चुनाव में भी बीजेपी के सामने कोई नहीं है, लेकिन अगर एनडीए का विस्तार होता है, तो विपक्ष के सारे खेल को ध्वस्त किया जा सकता है।