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Bigg Boss 15 फेम कंटेस्टेंट ने सलमान खान के शो को बताया बोरिंग,कही यह बात

पॉपुलर और रिएलिटी शो ‘बिग बॉस 15’ (Bigg Boss 15) की लगातार गिरती टीआरपी से मेकर्स हैरान भी है और परेशान भी शो की टीआरपी को बढ़ाने के लिए मेकर्स ने हर संभव प्रय़ास किया इसके लिए घर में 5 वीआईपी कंटेस्टेंट की भी एंट्री कराई गई, लेकिन इसका कुछ खास असर देखने को नहीं मिला इस बीच ‘बिग बॉस ओटीटी’ फेम जीशान खान (Zeeshan Khan) ने ‘बिग बॉस’ (Bigg Boss 15) को बोरिंग बताया है। उन्होंने कहा कि जब वह शो देख रहे थे तो 15 मिनट में ही बोर हो गए।

बिग बॉस को बताया उबाऊ शो
जीशान ‘बिग बॉस ओटीटी’ के बाद से काफी मशहूर हो गए। अंग्रेजी वेबसाइट स्पॉटब्वॉय से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘बिग बॉस नाम का कोई शो नहीं है बल्कि यह बिग बोर है। इस सीजन में वे और बोर करने की कोशिश कर रहे हैं।‘ जीशान आगे कहते हैं कि ‘मैं बता नहीं सकता कि यह कितना उबाऊ है। जब मैं इसे देख रहा था तो 15 मिनट बाद ही मेरी इसमें रुचि नहीं रही और मैं इसे बंद करना चाहता था। इसे देखकर मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं कुछ और करना चाहता हूं।‘

ट्वीट कर शो को लेकर उठाए सवाल
जीशान ने अपने ट्विटर पर लिखा था. एक कंटेस्टेंट होने से पहले इस शो का फैन होने के नाते मुझे हैरानी हो रही है कि एक ही मंच पर सबके लिए नियम अलग- अलग कैसे है। करण, सिंबा और कई ने हिंसा का साहरा लिया है और अभी भी घर में है। क्या डिक्शनरी में हिंसा की परिभाषा बदल गई है।

बिग बॉस ओटीटी से हिंसक झड़प के कारण बाहर हुए थे
जीशान तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने अपने को- कंटेस्टेंट प्रतीक सहजपाल के साथ हिंसा की थी जिसकी वजह से उन्हें बिग बॉस ओटीटी के घर से बाहर निकाल दिया गया था। उन्होंने कुछ दिन पहले बिग बॉस 15 के नियमों पर सवाल उठाया था।

शो के नियमों को लेकर उठाए थे सवाल
जीशान (Zeeshan Khan) तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने अपने को-कंटेस्टेंट प्रतीक सहजपाल के साथ हिंसा की थी, जिसकी वजह से उन्हें ‘बिग बॉस ओटीटी’ से बाहर निकाल दिया गया था. उन्होंने कुछ दिन पहले ‘बिग बॉस 15’ (Bigg Boss 15) के नियमों को लेकर सवाल उठाया था. जीशान ने ट्विटर कर लिखा, ‘एक कंटेस्टेंट होने से पहले इस शो का फैन होने के नाते मुझे हैरानी हो रही है कि एक ही मंच पर सबके लिए नियम अलग-अलग क्यों है. करण, सिंबा और कई कंटेस्टेंट ने हिंसा का सहारा लिया और अभी भी घर में टिके हुए हैं. क्या हिंसा की परिभाषा कंटेस्टेंट के हिसाब से बदल जाती है?’

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