धर्म

18 जुलाई को है भड़ली नवमी,विवाह व मांगलिक कार्यों के लिए है अंतिम शुभ दिन

आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भड़ली नवमी कहते हैं। इस वर्ष भड़ली नवमी 18 जुलाई दिन रविवार को है। भड़ली नवमी को भड़ाल्या नवमी या कंदर्प नवमी भी कहा जाता है। भड़ली नवमी गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन मनाई जाती है। भड़ली नवमी का दिन शुभ विवाह के लिए आखिरी मुहूर्त होता है। इसके बाद अगले चार महीने तक कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं। इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना की जाती है।  इसके बाद अगला अबूझ मुहूर्त देवउठनी एकादशी को होगा,जो कि 14 नवंबर को है। 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच में सूर्य धनु राशि में आ जाएगा। जिसे धनुर्मास कहते हैंइसके बाद से देवशयनी एकादशी प्रारंभ हो रहा है, जिसकी वजह से 4 माह के लिए विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे। आइए जानते हैं भड़ली नवमी की तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में।

भड़ली नवमी कब?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि अर्थात भड़ली नवमी 18 जुलाई 2021 को तड़के 02: 41 से प्रारंभ हो रही है। जबकि यह 18 जुलाई को ही देर रात 12 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो रही है।

भड़ली नवमी की तिथि
भड़ली नवमी 2021 का प्रारंभ 18 जुलाई से सुबह 2 बजकर 41 मिनट से शुरू हो रहा है। इसका समापन उसी दिन रात 12 बजकर 28 मिनट पर हो जाएगा। इस दौरान पूरे दिन रवि योग बना रहेगा। इसके अलावा साध्य योग रात 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इस योग को काफी शुभ माना गया है। इस योग में कई शुभ कार्यों को अंजाम दिया जाता है।

भड़ली नवमी की पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा और कथा की जाती है। भड़ली नवमी पर साधक को स्नान करके धुले कपड़े पहनकर मौन रहकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। अर्चना के दौरान भगवान को फूल, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। पूजा में बिल्व पत्र, हल्दी, कुमकुम या केसर से रंगे हुए चावल, पिस्ता, बादाम, काजू, लौंग, इलाइची, गुलाब या मोगरे का फूल, किशमिश, सिक्का आदि का प्रयोग करना चाहिए। अर्चना के बाद पूजा में प्रयोग हुई सामग्री को किसी ब्राह्मण या मंदिर में दान कर देना चाहिए।

भड़ली नवमी को है रवि योग व साध्य योग
पंचांग के अनुसार, भड़ली नवमी के पूरे दिन रवि योग बना हुआ है, उसके बाद साध्य योग देर रात 01 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. मान्यता के अनुसार शुभ कार्यों के लिए साध्य योग्य श्रेष्ठ माना जाता है।

अबूझ मुहूर्त
इस नवमी के दिन अबूझ मुहूर्त होता है। यदि विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है, तो अबूझ मुहूर्त सबसे उत्तम है। इस मुहूर्त में आप किसी भी समय विवाह को कर सकते हैं। इसके अलावा आप इस दिन किसी भी चीज की खरीदारी, नए कारोबार की शुरुआत और गृह प्रवेश भी कर सकते हैं।

चातुर्मास का प्रारंभ
भड़ली नवमी के बाद 20 जुलाई से चातुर्मास का प्रारंभ हो जाएगा। इस दिन से भगवान 4 महीनों के लिए क्षीर सागर के भीतर योग निद्रा में चले जाएंगे। इन 4 महीनों में जगत का संचालन महादेव करते हैं। इस बीच किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।

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