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एनसीटी बिल पर दिल्ली में बवाल: कांग्रेस ने कहा- अगर बिल पास हुआ तो याचिकाकर्ता बनकर रह जाएगी चुनी हुई सरकार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को संसद में लाए गए गवर्नमेंट आफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी आफ दिल्ली (संशोधित बिल) 2021 यानी एनसीटी बिल पर बवाल मच गया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इसे गलत करार दिया है। वहीं, कांग्रेस ने बिल को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मंगलवार को सोशल मीडिया के जरिए कहा कि अगर बिल संसद में पास हुआ, तो दिल्ली में लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। दिल्ली की चुनी हुई सरकार उपराज्यपाल के दरबार में सिर्फ याचिकाकर्ता बनकर रह जाएंगे। अब उपराज्यपाल गृह मंत्रालय के जरिए दिल्ली पर आक्रामक तरीके से राज करेंगे।

इसलिए हो रहा विरोध
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र के इस नए बिल के पास होने के बाद दिल्ली में उपराज्यपाल के पास अधिक अधिकार होंगे। विधानसभा से इतर भी कई ऐसे मामले होंगे, जिनमें अब राज्य सरकार को उपराज्यपाल की अनुमति लेना जरूरी होगा। विधायिका से जुड़े फैसलों के लिए सरकार को उपराज्यपाल को 15 दिन पहले और प्रशासनिक फैसलों में 7 दिन पहले ही मंजूरी लेनी होगी।

केजरीवाल ने भी साधा निशाना
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा, ‘ये बिल कहता है कि दिल्ली में सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा, तो चुनी हुई सरकार क्या करेगी? सभी फाइल्स उपराज्यपाल के पास जाएंगी। ये सुप्रीम कोर्ट के 4 जुलाई 2018 के फैसले के खिलाफ है, जिसमें कहा गया था कि फाइल्स उपराज्यपाल को नहीं भेजी जाएंगी। चुनी हुई सरकार सभी फैसले लेगी और उपराज्यपाल को फैसले की कॉपी ही भेजी जाएगी।

भाजपा ने किया पलटवार
वहीं, भाजपा का कहना है कि केजरीवाल और मनीष सिसोदिया संविधान के आधार पर सरकार चलाने के लिए तैयार नहीं है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बिल पर कहा कि ये सर्वोच्च न्यायालय के फरवरी 2019 के निर्देश की अनुपालना है।

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