23 जुलाई को मनाई जाएगी आषाढ़ पूर्णिमा,विशेष संयोग में करें पूजा
आषाढ़ माह में आने वाली पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं क्योंकि इसी दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इस साल यह पावन तिथि 23 जुलाई 2021 को प्रात:काल 10:43 बजे से आरंभ होकर 24 जुलाई 2021 की सुबह 08:06 बजे तक रहेगी। चूंकि भारतीय संस्कृति में गुरु को गोविंद से बड़ा मानती है, इसलिए गुरुओं को समर्पित इस पावन पर्व की महत्ता अपने आप समझी जा सकती है। आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत रखने के साथ ही भक्त भगवान विष्णु की अराधना करते हैं और सत्यनारायण कथा का पाठ या श्रवण करते हैं। चूंआइए जानते हैं आषाढ़ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त के बारे में।
आषाढ़ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Ashadha Purnima 2021 Shubh Muhurat)
आषाढ़, शुक्ल पूर्णिमा गुरू पूर्णिमा शुक्रवार 23 जुलाई 2021 को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई शनिवार की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही चंद्रोदय का समय 23 जुलाई शाम 7 बजकर 10 मिनट पर है।
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत विधि (Ashadha Purnima Vrat Vidhi)
इस पूर्णिमा पर सुबह उठ जाना चाहिए. इस दिन सुबह उठने का महत्व है. स्नान करना चाहिए. पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए. स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. भगवान कृष्ण या विष्णु की पूजा करें. इस व्रत में काले तिल का विशेष रूप से दान किया जाता है.
पूर्णिमा की दिन जरूर करें स्नान-दान
पूर्णिमा पर दिये गये दान-दक्षिणा का फल कई गुना होकर हमें वापस मिलता है। पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद तिल, गुड़, कपास, घी, फल, अन्न, कम्बल, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। साथ ही किसी जरूरतमंद को भोजन कराना चाहिए। शास्त्रों में इस दिन सबसे अधिक प्रयागराज में स्नान-दान का महत्व बताया गया है, लेकिन अगर आप कहीं बाहर नहीं जा सकते तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल डालकर, पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करें और गायत्री मंत्र का जाप करें।
आषाढ़ पूर्णिमा पर सर्वार्थ सिद्धि योग
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन दो योग बन रहे हैं। 24 जुलाई को सुबह में 6 बजकर 12 मिनट से प्रीति योग बन रहा है, जो 25 जुलाई को तड़के 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। प्रीति योग को शुभ माना जाता है, इसलिए यह शुभ मुहूर्त है। 24 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दिन दोपहर 12 बजकर 40 मिनट से अगले दिन 25 जुलाई को प्रात: 05 बजकर 39 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। यह विशेष कार्यों की सिद्धि के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है।
आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्रोदय
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का उदय शाम को 07 बजकर 51 मिनट पर होगा। हालांकि चंद्र के अस्त होने का समय प्राप्त नहीं हो रहा है।
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन राहुकाल
इस दिन राहुकाल सुबह में ही है। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन राहुकाल प्रात: 09 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक है। राहुकाल में शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
पूर्णिमा के चमत्कारी उपाय
पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष पर की जड़ों में मीठा जल डालने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने साधक पर पूरी कृपा बरसाती है।
पूर्णिमा की शाम को पति-पत्नी यदि साथ मिलकर चंद्रमा का दर्शन और उन्हें गाय के दूध का अघ्र्य देते हैं तो उनके दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
पूर्णिमा की शाम को तुलसी जी के सामने शुद्ध देशी घी का दिया जलाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पूर्णिमा की शाम को चंद्र दर्शन करने के बाद दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर चंद्रमा को अघ्र्य देने से चंद्र दोष दूर होता है। अघ्र्य देने के बाद चंद्रदेव के मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नमः’का जप करना न भूलें।