विश्वेषण – हवाईयां उड़ीं तो हवा हवाई पर बरसे कमलनाथ

वैभव गुप्ता
विश्वेषण – भोपाल – मध्यप्रदेश में 15 महीने की सरकार के दौरान वल्लभ भवन, दिल्ली और छिंदवाड़ा में चक्कर कभी अपने तो अपनी सरकारी उड़न खोटले में बैठकर लगाने वाले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ(Kamalnath) ने बयान दिया कि मैं हवा – हवाई नेताओं के भरोसे नहीं रहना चाहता हूँ। ये बात कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने बंगले में एक बैठक को संबोधित करते हुए हाल ही में कही। इसे कहकर कमलनाथ किसे क्या बताना चाहते है, ये बात तो कांग्रेस के नेता – कार्यकर्ता (congress workers) देर सवेरे समझ ही जाएंगे, लेकिन फिलहाल तो इस बात को कमलनाथ को समझना चाहिए कि मध्यप्रदेश कांग्रेस इकलौते वही नेता है, जो हवा हवाई बनकर देश की राजधानी से प्रदेश की राजधानी के चक्कर लगा रहे है। कमलनाथ को हवा हवाई नेताओं को चिंता छोड़ उन नेताओं की चिंता करनी चाहिए जो इस बैठक में नहीं आए थे। बैठक में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव (Arun Yadav), कमलनाथ कैबिनेट में कृषि मंत्री रहे सचिन यादव (Sachin Yadav)और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा चुके अजय सिंह (Ajay Singh) शामिल नहीं हुए।
ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है, कि क्या कमलनाथ सबको साथ लेकर नहीं चल पा रहे है या पार्टी में एक बार कमलनाथ के खिलाफ बगावती सुर पनपने शुरू हो गए है, क्योंकि अरुण यादव और अजय सिंह दोनों ने ही किसी न किसी मामले कमलनाथ के खिलाफ अपनी बात कहीं है। ऐसे में क्या कमलनाथ खुद इनसे दूरी बना रहे है। भोपाल के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारवार्ता के दौरान जब कमलनाथ से सवाल पूछा गया था, कि क्या खडंवा लोकसभा सीट से अरूण यादव का टिकट फाइनल हो गया है, तो नाथ ने कहा था नहीं मुझे नहीं मालूम है, अरूण ने मेरे से ऐसा कुछ नहीं कहा, अगर मेरे से कहते तो मैं अरूण का नाम इसी कॉन्फेंस में घोषित कर देता। पूरी कांग्रेस को पता है, कि अरूण यादव ने खन्डवा लोकसभा से उपचुनाव लड़ने की तैयारी शुरु कर दी है, केवल कमलनाथ को छोड़कर, या फिर कमलनाथ चाहते है कि अरूण मेरे पास आए तब मैं टिकट दूंगा।
लंबे समय तक मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमान संभालने वाले अरूण यादव और कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के बीच दूरियां ग्वालियर(Gwalior) में गोडसे भक्त बाबूलाल (babulal) को पार्टी में शामिल कराने के बाद ही शुरू हो गई थी, तब अरूण यादव ने कहा था कि गांधी की पार्टी में गांधी (Gandhi)के हत्यारे को शामिल किया गया, मैं इसके खिलाफ हूँ। इस आपत्ति के बाद अरूण यादव पार्टी में अकेले पड़ गए थे, जबकि बात उन्होंने सही कहीं थी लेकिन ये कांग्रेस है यहां नेता की पूजा होती है कार्यकर्ता की नहीं है। फिर कद में तो अरूण यादव से बहुत बड़े कमलनाथ है ही।
उपचुनाव में कांग्रेस की मजबूती के लिए अहम बैठक से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाने वाले अजय सिंह भी गायब रहे। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था 2018 के विधानसभा (assembly election) चुनाव में विंध्य क्षेत्र में पार्टी की करारी हार के कारण कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी । इस पर अजय सिंह ने कहा था विंध्य क्षेत्र को दोष देना ठीक नहीं है। इस आरोप प्रत्यारोप के बाद अजय सिंह और कमलनाथ के बीच की दूरियां भी बढ़ने लगी थीं और जिस तरह से उपचुनाव को लेकर हुई बैठक में अजय सिंह राहुल भैय्या का ना आना बता रहा कि कांग्रेस के लिए उपचुनाव की राह और ज्यादा मुश्किल होने जा रही है ।
कांग्रेस को मध्यप्रदेश में मजबूत करने का भारी जिम्मेदारी लिए कमलनाथ जब पार्टी की बैठक कहते है, कि मैं हवा हवाई नेताओं के भरोसे नहीं रहता हूँ, तो शायद कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता यही कमनलाथ से पूछना चाहता है, कि उसे तो हमेशा हवा हवाई नेता ही मिले हैं, उसमें से आप भी एक हो। खैर बात साफ है कि बैठक में ना आकर अजय सिंह और अरूण यादव ने साफ कर दिया है कि नाथ के भरोसे वो है नहीं, नाथ को बिना बताए जब अरूण यादव लोकसभा की तैयारी कर सकते है, तो ये भी जानते होंगे कि टिकट कहां से मिलता है। वहीं अजय सिंह की बात की जाए समय समय पर कांग्रेस कार्यकर्ता उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कर चुके है, लेकिन नाथ ऐसे किसी नेता को प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी नहीं देंगे जो उनकी बात काट सकें। क्योंकि ये वहीं नाथ है जिन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया, अपनी कैबिनेट के मंत्री, विधायकों और वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को गंभीरता से नहीं लिया तो फिर अब तो सरकार भी नहीं है। ऐसे में अजय सिंह और अरूण यादव को तय करना है, कि अब उन्हें आगे क्या करना है कि क्योंकि कमलनाथ ने जो हवा हवाई नेताओं के भरोसे वाली बात जो कहीं है, वो कहीं इन दोनों के लिए तो नहीं थी और अगर ऐसा है इनसे कभी भी कहा जा सकता है चलो चलो…………..