धर्म

शिवरात्रि पर बन रहा है अद्भुत संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह शिवरात्रि का व्रत कृष्ण पक्ष के दौरान चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के रूप में जाना जाता है। शिवरात्रि जब कार्तिक मास में पड़ती है तो और भी खास हो जाती है। इस बार यह दिवाली से एक दिन पहले पड़ रही है, जिसके चलते यह बेहद खास होगी,इस दिन व्रत, पूजन के साथ शिव का अभिषेक बहुत शुभ रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रत्येक शिवरात्रि पर व्रत और पूजन करने से व्यक्ति को समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव की कृपा बरसती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की कृपा से मासिक शिवरात्रि व्रत का पालन करने से असंभव और कठिन कार्य को पूरा किया जा सकता है। भक्तों को शिवरात्रि के दौरान जागते रहना चाहिए और आधी रात के दौरान शिव पूजा करनी चाहिए। अविवाहित महिलाएं विवाह करने के लिए इस व्रत का पालन करती हैं और विवाहित महिलाएं अपने विवाहित जीवन में शांति और शांति बनाए रखने के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। जानिए पूजा विधि और मुहूर्त।

मासिक शिवरात्रि
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
कार्तिक शिवरात्रि का व्रत 03 नवंबर 2021 दिन बुधवार को होगा.
कार्तिक चतुर्दशी तिथि आरंभ- तीन नवंबर 2021 दिन प्रातः 11.32 बजे से
कार्तिक चतुर्दशी तिथि समाप्त – चार नवंबर 2021 दिन 08.33 बजे
निशीथ पूजा समय : रात 11.38 बजे से अर्ध्य रात्रि 12.30 बजे…..

शिवरात्रि का महत्व-
शिवरात्रि शिव जी की उनकी प्रिय तिथि है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजन व व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करके मनोकाओं को पूर्ण करते हैं। मान्यता के अनुसार, शिवरात्रि पर व्रत पूजन करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है व सकारात्मकता का संचार होता है। समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना बहुत शुभफलदायी माना जाता है। इस दिन शिव मंत्रों का जाप करना भी बेहद लाभप्रद रहता है।

पूजा के लिए जरूरी सामान
मासिक शिवरात्रि की पूजा में शिव परिवार को पंचामृत से स्नान अनिवार्य है. पूजा में बेल पत्र, फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य और इत्र जरूर हो। इस दिन व्रत रखने वालों को शिव पुराण या शिवाष्टक का पाठ करना चाहिए. पूजा का समापन शिव आरती के साथ करनी चाहिए।

रूद्राभिषेक शुभफलदायी
समस्याओं से मुक्ति के लिए शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना बहुत शुभफलदायी माना जाता है। इस दिन शिव मंत्रों का जाप करना भी बेहद लाभप्रद रहता है।

पूजा की विधि
– चतुर्दशी की सुबह उठकर स्नान आदि के बाद मंदिर में दीप जलाएं और व्रत का संकल्प लें।
– किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए।
– शिवलिंग पर चंदन, बेलपत्र, भांग और धतूरा आदि अर्पित करें।
– शिव के साथ माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नंदी का भी पूजन करें।
– इस दिन शिव मंत्रों का जाप और शिव चालीसा का पाठ शुभफलदायी है।

 

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