धर्म

12 नवंबर को मनाई जाएगी अक्षय नवमी,जानिए शुभ मुहूर्त, महत्त्व और पूजा विधि

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आवंला नवमी पड़ती है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में आंवला नवमी का भी विशेष महत्व है। इस बार आंवला नवमी 12 नवंबर 2021, शुक्रवार को होगी। आंवला नवमी में आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर ही पूजा-अर्चना के बाद भोजन किया जाता है। इस दिन आंवले को भी प्रसाद के रूप में खाने का महत्व है। धर्म के अनुसार आंवला भगवान विष्णु का सबसे प्रिय फल माना जाता है। आंवला के वृक्ष की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। अक्षय नवमी का व्रत खासकर संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान पूर्ण करने से अगले जन्म में भी पुण्य की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि स्वस्थ रहने की कामना के साथ आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं क्यों मनाई जाती है आंवला नवमी और उसकी पूजन विधि।

इसलिए मनाई जाती है आंवला नवमी
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन आंवला नवमी मनाई जाती है। इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ होता है। द्वापर युग में भगवान विष्णु के आंठवे अवतार श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। इसी दिन श्री कृष्ण ने वृंदावन गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा की ओर प्रस्थान किया था। इसी वजह से आज के दिन वृंदावन परिक्रमा की जाती है।

आंवला नवमी पूजा विधि
अक्षय नवमी के दिन आंवला पेड़ की पूजा कर जल और कच्चा दूध अर्पित किया जाता है। फिर वृक्ष की 7 परिक्रमा करते हुए तने में कच्चा सूत या मौली लपेटी जाती है। पूजा के बाद पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करें।

आंवला नवमी 2021 शुभ मुहूर्त
12 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक पूजन का शुभ मुहूर्त है।

नवमी तिथि प्रारंभ
12 नवंबर 2021, दिन शुक्रवार को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 13 नवंबर, शनिवार को सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगी।

अक्षय नवमी का महत्व
अक्षय नवमी के दिनआंवला के वृक्ष के नीचे भोजन करने का विशेष महत्व होता है। धर्म के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक राक्षस का वध किया था। मान्यताओं के अनुसार अक्षय नवमी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने कंस वध से पहले तीन वन की परिक्रमा की थी। इसी वजह से आज भी लोग अक्षय नवमी के दिन मथुरा और वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। ऐसी मान्यता है, कि इस दिन यदि भक्त भगवान श्री हरि की पूजा-अर्चना श्रद्धा पूर्वक करें, तो भगवान विष्णु संतान प्राप्ति का वरदान देते हैं।

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