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रामभद्राचार्य के बाद मुंतशिर ने कर दी यह मांग, मचा सियासी बवाल

भोपाल का नाम भोजपाल करने की मांग ने पकड़ा जोर

भोपाल। जगदगुरु रामभद्राचार्य के बाद मशहूर गीतकार मनोज मुंतशिर ने भोपाल का नाम बदलने की पैरवी कर दी तो सियासी भूचाल आ गया। कांग्रेस कह रही है बाहरी व्‍यक्ति को यह मांग करने का अधिकार नहीं है, तो बीजेपी का कहना है कि यह लोगों के विचार हैं, इस पर बहुमत के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। वैसे बीजेपी शासनकाल में नाम बदलने का काम लम्बे समय से चल रहा है। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र की तहसील नसरुल्लागंज का नाम बदलकर भैरूंदा किया जा चुका है।

मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित भोपाल गौरव दिवस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा है कि हम बच्चों के सामने इतिहास रखना चाहते हैं इसलिए हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किया गया। यहां जगदीशपुर,  इस्लाम नगर बन गया था हमने उसका नाम बदलकर फिर से जगदीशपुर कर दिया। सीएम ने हालांकि भोपाल का नाम बदले जाने की कोई बात नहीं की लेकिन इसी कार्यक्रम में प्रसिद्ध गीतकार एवं लेखक मनोज मुंतशिर ने भोपाल का नाम भोजपाल किये जाने की मांग उठा कर नई बहस को जन्म दिया है। मुंतशिर का कहना है कि भोपाल की पहचान हमीदुल्ला खान से नहीं राजा भोज से होनी चाहिए। और शिव के राज में भोपाल का नाम शिवभक्‍त भोजपाल के नाम से नहीं पहचाना जाएगा और उसका नाम भोजपाल नहीं होगा तो फिर कब होगा। मनोज मुंतशिर के ब्यान पर कांग्रेस मीडिया सेल के उपाध्यक्ष अब्बास हफीज ने कहा है कि सत्ता के आस-पास घूमने के लिए एक कलाकार को चाटुकारिता करनी पढ़े, इससे बड़ा नुक़सान क्या है। मुंतशिर को कोई हक नहीं है कि वे नाम बदलने की मांग करें, यह मांग भोपाल के रहने वाले ही कर सकते हैं। वैसे भी मुंतशिर चाटुकारिता करते हैं ताकि सत्‍ता के आसपास रह सकें। जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी तो वे राहुल गांधी की तारीफ करते थे। इससे पहले भी जगदगुरु रामभद्राचार्य भी भोपाल का नाम भोजपाल करने की मांग कर चुके हैं। उन्‍होंने तो यहां तक कहा था कि जब तक भोपाल का नाम भोजपाल नहीं होगा वे दोबारा भोपाल नहीं आएंगे। उधर इन बयानों के बीच भोपाल नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने हमीदिया अस्पताल और हमीदिया कॉलेज के नाम बदलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हमीदुल्लाह के नाम पर इनके नाम क्यों हैं जिसने भोपाल रियासत का भारत में विलय का विरोध किया था। वह पाकिस्‍तान में मिलना चाहता था इस कारण दो साल देरी से भोपाल को आजादी मिल पाई। नाम बदलने की सियासत बदस्तूर जारी है। इससे पहले भोपाल में ही हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर किया गया है। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्टेशन का शुभारंभ किया था।  भोपाल के पास स्थित निशातपुरा स्टेशन का नाम भी बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग के नाम पर कर दिया गया है। भोपाल में ही स्थित इस्लामनगर का नाम भी बदलकर जगदीशपुर किया गया है। नाम बदलने की कवायद जारी है। अब देखना यह है कि भोपाल शहर, हमीदिया अस्पताल और हमीदिया कॉलेज का नाम बदलेगा या इस पर केवल सियासत होगी।

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