देशमुख को घेरने में जुटी सीबीआई, कोर्ट में जाकर जांच में सहयोग नहीं करने का लगाया आरोप

ताजा खबर : मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) हर महीने 100 करोड़ की वसूली वाले आरोप पर लगातार घिरते जा रहे हैं। सीबीआई (CBI) ने आज बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) में जाकर अनिल देशमुख पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया। CBI ने कोर्ट को यह भी बताया कि उच्च न्यायालय के एक आदेश में कहा गया है कि सीबीआई पुलिस तबादला और पदस्थापना में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर सकती है।
सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह (Solicitor General Anil Singh) ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे (Justice SS Shinde) और न्यायमूर्ति एन जे जमादार (Justice NJ Jamadar) की खंडपीठ से कहा कि एजेंसी ने राज्य खुफिया विभाग को पत्र लिख कर पुलिस तबादला एवं पदस्थापन में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी रश्मि शुक्ला (Rashmi Shukla) के एक पत्र से जुडा ब्योरा मांगा था।
सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 22 जुलाई को कहा था कि CBI तबादला और पदस्थापन में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर सकती है और अदालत ने देशमुख के खिलाफ दर्ज एजेंसी की प्राथमिकी के कुछ हिस्से रद्द करने की मांग करने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका खारिज कर दी थी।
सिंह ने कहा, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सीबीआई ने 23 जुलाई को राज्य खुफिया विभाग के आयुक्त को पत्र लिख कर तबादला और पदस्थापन पर शुक्ला द्वारा सरकार को भेजे गये पत्र की प्रतियां मांगी थी। उन्होंने कहा, हालांकि, 27 जुलाई को सहायक पुलिस आयुक्त नितिन जाधव (Nitin Jadhav) ने सीबीआई को जवाब दिया, जिसमें उन्होंने दस्तावेज सौंपने से इनकार करते हुए कहा कि वे अन्य जांच का हिस्सा हैं। हमारी शिकायत यह है कि सरकार सहयोग नहीं कर रही है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि CBI इस मुद्दे को उठाते हुए एक अर्जी दायर कर सकती है और अदालत उस पर दलीलें सुनेगी। सीबीआई ने इस साल 21 अप्रैल को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरूपयोग को लेकर उनके खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था।