राजनीति के हिसाब से 2023 अहम? 9 राज्यों में किसके सिर सजेगा ताज, मिशन-2024 के लिए कैसे होगी पिच तैयार
मिशन-2024 के लिहाज से ये नया साल काफी अहम है। क्योकि इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
नया साल यानि 2023 शुरु हो चुका है। इस नये साल में कई चुनौतियां हैं। राजनीतिक तौर पर ये साल काफी खास रहने वाला है।ये ऐसा साल है, जहां से 2024 की पिच तैयार होगी, जो भी दल इस पिच पर तेज बल्लेबाजी करेगा मिशन 2024 उसके लिए उतना ही आसान होगा। दरअसल 2023 में दक्षिण भारत से लेकर पूर्वोत्तर और उत्तर भारत के हिंदी पट्टी वाले राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। मतलब 2023 में देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। साल की शुरुआत में चार राज्यों में चुनाव होंगे जबकि 5 राज्यों में साल के अंत में चुनाव होने हैं। जिन 9 राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें तीन पर बीजेपी और दो राज्यों पर कांग्रेस का कब्जा है। तीन राज्यों पर क्षेत्रीय दल सत्ता में हैं।लेकिन बीजेपी सहयोगी दल है। वही एक राज्य तेलंगाना में केसीआर की पार्टी बीआरएस कब्जा जमाए हुए है। ऐसे में ये नया साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए काभी अहम माना जा रहा है।
हिंदी पट्टी वाले राज्यों में चुनाव काफी अहम
हिन्दी पट्टी वाले राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन इस राज्यों में बीजेपी के सामने कई चुनौतियां होंगी। साल 2018 में इन तीनों राज्यों में बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई थी। तीनों राज्यों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था। लेकिन अभी मौजूदा स्थिति में कांग्रेस छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ही सत्ता में है।वही मध्यप्रदेश में ऑपरेशन लोटस की वजह से बीजेपी सत्ता में है। इस बार फिर कांग्रेस मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रही है।दूसरी तरफ बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले क्षेत्रों से पार्टी की सीटें बढ़ने की उम्मीद लगाए बैठी है। राज्य की आरक्षित सीटों पर बढ़त बनाना, बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।अगर मध्य प्रदेश में बीजेपी को सत्ता बरकरार रखनी है, तो इन आरक्षित सीटों पर 2013 वाला प्रदर्शन दोहराना होगा। अगर राजस्थान की बात करें तो यहां का सियासी रिवाज हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन का रहा है।2023 में सबकी निगाहें राजस्थान के सियासी दंगल पर होंगी। बड़े राज्यों में यही एक राज्य है, जहां फिलहाल कांग्रेस की सरकार है। राजस्थान में पिछले 6 चुनाव से बीजेपी और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में आती हैं। ये सिलसिला 1993 से जारी है। 1993 से यहां कोई भी पार्टी लगातार दो बार चुनाव नहीं जीत सकी है। राजस्थान की ये परिपाटी ही फिलहाल सत्ताधारी कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच 2018 के बाद से ही तनातनी है। कांग्रेस के लिए इस बाधा से भी निपटना एक बड़ी चुनौती है और बीजेपी की राह में ये सबसे फायदेमंद पहलू है। वही छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां पर कांग्रेस की अपने बलबूते सरकार है।छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2003 से दिसंबर 2018 तक बीजेपी सत्ता पर काबिज रही थी। 2018 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के डेढ़ दशक की बादशाहत को खत्म कर दिया था। देश में यही एक राज्य ऐसा दिखता है, जहां कांग्रेस फिलहाल सबसे ज्यादा मजबूत नजर आती है।
कर्नाटक और तेलंगाना में भी चुनाव
साल 2023 में कर्नाटक और तेलंगाना में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इस बार कर्नाटक में बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस के बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। पिछली बार 2018 में हुए चुनाव में बीजेपी 104 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वही कांग्रेस ने 80 सीटें जीती थी।वही जेडीएस को 37 सीटों पर जीत मिली थी।2013 के मुकाबले बीजेपी के वोट बैंक में करीब दोगुना का इजाफा हुआ था और उसे 64 सीटों का फायदा मिला था। 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 42 सीटों का नुकसान हुआ था।ऐसे में 2023 के विधानसभा चुनाव में कर्नाटक में त्रिकोणीय मुकाबला देखने मिल सकता है। वही तेलंगाना की बात करें तो यहां कि सियासत में अब तक के. चंद्रशेखर राव का एकछत्र राज रहा है।अलग राज्य बनने के बाद 2018 में यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ था। उस वक्त तेलंगाना की कुल 119 सीटों में से 88 सीटों पर केसीआर की पार्टी को जीत मिली थी। वहीं कांग्रेस को महज 19 सीटें मिली थी। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 7 सीटों पर जीत मिली थी। एन. चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी को महज 2 और बीजेपी को एक सीट पर जीत मिली थी। हालांकि बीजेपी सात फीसदी से ज्यादा वोट लाने में कामयाब हुई थी।
इन राज्यों में भी चुनाव
मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़,राजस्थान,कर्नाटक और तेलंगाना के साथ-साथ 2023 में पूर्वात्तर के मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड और मिजोरम में भी चुनाव होने हैं। वही जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन इस साल होंगे कि नहीं यह तस्वीर साफ नहीं है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के सीटों का परिसीमन हो चुका है और चुनाव कराने के लिए केंद्र की मोदी सरकार कह चुकी है कि जल्द ही चुनाव कराएं जाएंगे।जम्मू-कश्मीर के मौसम को देखते हुए अप्रैल-मई में कर्नाटक के साथ विधानसभा चुनाव कराए जाने के आसार हैं। अगर ऐसा होता है तो फिर साल 2023 में कुल 10 राज्यों में चुनाव होंगे। इन 10 राज्यों में लोकसभा की 83 सीटें आती हैं, जो कुल 543 संसदीय सीटों की 17 फीसदी सीटें होती हैं। ऐसे में 2023 के चुनावी नतीजों का डायरेक्ट या इनडायरेक्ट असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। इसीलिए साल 2023 को देश की सियासत के लिए काफी अहम माना जा रहा है।