नज़रिया

महामूर्ख डीएम शैलेन्द्र यादव को भावभीनी श्रद्धांजलि 

यह घटना देश-भर के मूर्खों के लिए भविष्य का बहुत बड़ा सबक होनी चाहिए। मूर्ख यानी आला अफसर। जिन पर अपने इलाके में सुरक्षा और शांति की जिम्मेदारी होती है । वो जिम्मेदारी, जिसे निभाने में मानवीय स्वरूप की भी भूल हो जाए तो उन्हें इसकी सजा मिलती है । बात केवल सजा के तौर पर उस जगह या पद से हटा दिए जाने की नहीं है । बात यह भी कि यह गुनाह उनकी सर्विस बुक में दर्ज हो जाता है । फिर इस तरह की एंट्रीज ही उनके प्रमोशन सहित अन्य लाभों में लगातार रुकावट बनते चले जाते हैं।

तो सयानो की अदालत में आज के मूर्ख और दोषसिद्ध अभियुक्त हैं,  त्रिपुरा (Tripura) के डीएम शैलेश कुमार यादव (Dr, Shailesh Kumar Yadav)। प्राइमरी की किताब में एक कहानी थी, ‘अब्बू खां की बकरी।’ (Abbu khan kee bakaree) उसमें इस बकरी को निहायत ही सीधा बताते हुए यह कहा गया था कि उसे तो कोई बच्चा भी दुह सकता था । तो आईएएस (IAS) अफसर शैलेश यादव भी ये बकरी  ही साबित हुए हैं । सिस्टम उन्हें दुहने के बाद निचोड़ कर फेंक देने वाली मुद्रा में आ गया है । अब ये तो वो दौर है, जिसमे सीधा होना किसी गुनाह से कम नहीं है।

यादव जैसों के साथ ऐसा ही होना चाहिए। क्योंकि मूर्खता की सजा दी जाना तो बहुत जरूरी है । उनकी मूर्खता यह कि वे त्रिपुरा में कोरोना (Corona) का प्रसार रोकने के लिए ईमानदार कोशिश कर गुजरे। फिर यादव की महामूर्खता यह कि उन्होंने इस वायरस (Virus)  के खिलाफ सख्त कोशिशों वाले अपने राज्य तथा केंद्र की सरकार के निर्देशों/आव्हानों को सच समझ लिया। बस घुस गए एक शादी समारोह में । जहां सैंकड़ों लोगों की भीड़ खुलेआम कोरोना की गाइडलाइन्स (Corona Guidelines) का  चीरहरण कर रही थी । यादव ने इसके लिए आयोजकों को डांटा। इस आयोजन की पैरवी करते ढीढ  लोगों को गिरफ्तार करने के आदेश भी यादव ने दे दिए । अब यही यादव अपने इस आचरण के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांग रहे हैं । त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब (Biplob kumar Deb) ने मामले की रिपोर्ट तलब कर ली है । भाजपा की सांसद प्रतिमा भौमिक (Pratima Bhowmik) इस सबसे इतने दुखी हुईं कि उन्होंने ‘पीड़ित’ परिवार से मिलने की घोषणा कर दी है । मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M)ने यादव के खिलाफ कार्यवाही की मांग उठायी है । कुल मिलाकर इस सफर को उसके किये की सजा देने लायक संवेदनाएं तो गिरोहबंदी कर ही चुकी हैं।





मुझे लगता है कि डीएम यादव कुछ मंदबुद्धि हैं । और यदि ऐसा नहीं तो आईएएस बिरादरी के दिमाग को उपजाऊ बनाने वाली काइयाँपन की खाद उन्हें मिल नहीं सकी है । यही वजह रही कि वे व्यवस्था के  निर्देशों को गंभीरता से सच मान बैठे। उन्हें लगा होगा कि हुकूमतें सही में यह चाहती हैं कि आम जनता को कोरोना के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने से रोका जाए । अरे मूर्ख अधिपति शैलेश  कुमार! होश की दवा करो । याददाश्त  की धार तेज करने की दवा खाओ । तुम स्मृति विराम के शिकार हो । ऐसा नहीं होता  तो तुम्हें याद होता कि तुम्हारे राज्य से लगे पश्चिम बंगाल (West Bengal) में महज दो या तीन दिन पहले तक क्या हो रहा था । वहाँ कोरोना के भीषण प्रकोप के बावजूद भीड़ इकठ्ठा की जा रही थी ।

नरसंहार कर रहे वायरस को बिसराकर अपने- अपने राजनीतिक विरोधियों के संहार के लिए हजारों के आंकड़े को नीचा दिखा रहा हुजूम सोद्देश्य एकत्र करवाया जा रहा था । तो फिर केवल कुछ सैंकड़ा लोगों की मास्क (Mask) और सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing) जैसे तथ्यों से दुराचार कर रही भीड़ भला किस तरह कोरोना को बढ़ावा दे सकती थी!  वे बेचारे तो पाणिग्रहण में भोजन सूतने ही आये थे । वायरस के संचार में सहयोगी,/प्रायोजक बनने पर आमादा आयोजक वर और वधु पक्ष की इन पुण्यदायी कोशिशों को हवा देने की गरज मात्र से वहाँ पहुंचे थे । और फिर ये बात तो उन बिप्लब कुमार देब के राज्य की है, जो एक पत्थर को केवल इस आधार पर पौराणिक युग  की पैन ड्राइव बताने वाला चुटकुला सुना चुके हैं, कि वो  पत्थर  एक किनारे से एक ख़ास कोण से नुकीला पाया गया था । तो ऐसी नुकीली  तर्कशक्ति वाले विशुद्ध एक्सीडेंटल मुख्यमंत्री (An accidental CM) के राज्य में कोरोना की घातक धार  को और बढ़ने से रोकने की कोशिश करना  डीएम की मूर्खता का परिचायक ही कहा जाएगा।





शैलेश  कुमार की जगह और कोई काइयाँपन में पगा अफसर होता तो उस शादी में जाता। वर और वधु पक्ष की राजनीतिक एप्रोच की सबसे पहले थाह लेता। केंद्र सहित राज्य सरकार की कोरोना को लेकर सच्ची चिंता का विश्लेषण कर लेता। फिर वो आयोजकों सहित मेहमानों के सामने एक जोरदार भाषण देता। उन्हें कोरोना की भयावहता के बारे में ‘सम्माननीय खवातीनो-हजरात (ये संबोधन निश्चित ही बिप्लब महाशय को  नागवार गुजरेगा, मगर मैं इसके लिए उनसे माफी नहीं मांगूंगा) हमें कोरोना से बचना है’ को लेकर एक भाषण पिलाता । फिर उन्हें वहाँ से चुपचाप, बगैर कोई कार्यवाई किये उलटे पांव लौट आना चाहिए था । तब कहीं जाकर यादव इस बात का सही प्रतिनिधित्व कर पाते कि उन्होंने कोविड-19 के विरुद्ध राष्ट्र से लेकर राज्य स्तर के हुक्मरानो की वास्तविक मंशा के अनुरूप काम किया है । ये दुल्हन को मंच से उतारना, गलत करने वालों पर बरसना, गलत की पैरवी करने वाले गणमान्य देशवासियों को अपमानित करना, इस तरह की मूर्खताएं आज के दौर में कोई करता है भला!!! इसीलिये सोशल मीडिया पर भी कई लोग शैलेश कुमार को गरिया रहे हैं. यह वह हुजूम है, जो कोरोना से जुड़े प्रतिबंधों की त्रिपुरा में ब्याह का धूमधाम भरा आयोजन कर रहे परिवार की तरह ही धज्जियां उड़ाने पर आमादा है.

शैलेंद्र कुमार, अब तुम्हें अपने किये की सजा भुगतना होगी।  अपनी घोर मूर्खता का दंड सहना पड़ेगा। क्योंकि तुम उस सिस्टम की हिडन मंशा के साथ बलात्कार कर गुजरे, जिस सिस्टम के वायरस का शिकार एक बार कोरोना से भले ही बच जाए, लेकिन प्राणघातक क्षमता से युक्त इस विष्णु से  उसकी रक्षा कोई भी नहीं कर सकता है । सात दशक से भी अधिक समय से प्रसारित हो रहे इस विषाणु को थामने तो दूर, उसकी रफ़्तार तक काम करने लायक कोई कोविशील्ड या को-वैक्सीन आज तक नहीं बनायी जा सकी है । हाँ, टीएन शेषन (TN Seshan), जीआर खैरनार(GR Khairnar), अशोक खेमका,  (Ashok Khemka) संजीव चतुर्वेदी(Sanjiv Chaturvedi), डीके रवि (DK Ravi), दुर्गा शक्ति नागपाल (Durga shakti Nagpal), तुकाराम मुंडे(Tukaram Munde), यू सगायम (U Sagayam) कुछ चंद ऐसे नाम हैं, जो इस वायरस के लिए एंटीबाडी (Antibody) विकसित करने में सफल दिखे।

मगर  इनकी संख्या केवल उतनी ही है, जितनी न्यूनतम  संख्या में लोग आज किसी कोरोना पीड़ित की अंतिम क्रिया में ही शामिल हो पाते हैं । शैलेश कुमार, अब आप भी अपने आला अफसर होने वाले दिनों के अंतिम संस्कार में ही शामिल होने की तैयारी कर लीजिये। कर्तव्य के सही मायने में निर्वहन ने आपको खुद के ही करियर के उजले दिनों के क्रिया-कर्म के मुहाने पर लाकर  खड़ा कर दिया है । आपके भीतर के कर्तव्यनिष्ठ और धाकड़ अफसर को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। ॐ शान्ति। आरआईपी और खिराजे अकीदत। आपके राज्य के संवेदनशील मुख्यमंत्री और उन्हीं की पार्टी की अति-संवेदनशील सांसद आदि-आदि  की बदौलत आपकी सर्विस बुक  जल्दी ही आपके लिए शोक सन्देश का रूप लेने जा रही है. आपकी यह गलती भी अक्षम्य  है कि आपने इस पूरी कार्यवाही के दौरान ठुल्ले वाली भूमिका का पूरी ईमानदारी से निर्वहन कर रही स्थानीय पुलिस को सही मायनों में पुलिस बनाने का प्रयास किया। इतने गुनाहों का बोझ लेकर भला तुम्हें कैसे नींद आ पाएगी शैलेश कुमार!! धिक्कार है!!

(फेसबुक से साभार। यह लेखक के निजी विचार हैं, जिनसे वेबखबर प्रबंधन का सहमत होना आवश्यक नहीं है)

 

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