कांग्रेस के नहीं हुए पीके: चुनावी रणीनीतिकार ने ठुकराया हाईकमान का प्रस्ताव, बोले- पार्टी को मेरी नहीं, अच्छी लीडरशिप की जरूरत
नई दिल्ली। लंबे समय से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस के जाने की अटकलें थीं और इसे लेकर तीन राउंड की मीटिंग भी हुई। लेकिन अंत में बात बेनतीजा रही। यानी पीके के कांग्रेस में शामिल होने की तमाम अटकलों और खबरों पर आखिरकार विराम लग गया। इस बात पर कांग्रेस और खुद पीके ने ही विराम लगा दिया की दोनों साथ नहीं आ रहे हैं। पीके ने कहा कि कांग्रेस को मेरी नहीं, अच्छी लीडरशिप और बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है।
प्रशांत किशोर ने ट्वीट करके कहा है कि कांग्रेस में गहराई तक जड़ें जमा चुकीं सांगठनिक समस्याओं को परिवर्तनकारी सुधारों के जरिए सुलझाने के लिए मुझसे ज्यादा पार्टी को नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। इस तरह एक बार फिर कांग्रेस में शामिल होकर अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने की पीके की संभावनाओं को विराम लग गया है। वहीं कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी में 2024 लोकसभा चुनावों के लिए एक एम्पार्वड एक्शन ग्रुप बनाकर प्रशांत किशोर को उसका सदस्य बनाकर पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन पीके ने इनकार कर दिया।
भले नहीं आए साथ, पर कांग्रेस को समस्या बता गए प्रशांत किशोर
भले ही प्रशांत किशोर कांग्रेस का हिस्सा नहीं बने हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी की मुख्य समस्या जरूर सामने रख दी है। पीके ने कांग्रेस से न जुड़ने की जानकारी देने वाला जो ट्वीट किया है, उसमें साफ बताया है कि कांग्रेस को मेरे से ज्यादा सामूहिक लीडरशिप की जरूरत है। यह बात काफी हद तक सही है। दरअसल कांग्रेस इन दिनों राष्ट्रीय स्तर से लेकर तमाम राज्यों तक में लीडरशिप की कमी से जूझ रही है। उसके पास फिलहाल ऐसे कद्दावर चेहरों का अभाव दिखता है, जो अपने दम पर मतदाताओं को लुभा सकें। ऐसे में बिना लीडरशिप के नैरेटिव तैयार करना आसान नहीं है।
शामिल होने की महज औपचारिकता ही शेष थी
दरअसल, पिछले कई दिनों से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी महासचिव प्रियंका गांधी समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ प्रशांत किशोर की लंबी बातचीत के बाद ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस में प्रशांत की राजनीतिक पारी जल्दी ही शुरू होने वाली है। कांग्रेस के शीर्ष नेता भी मानने लगे थे कि पीके पार्टी में आ रहे हैं। सोनिया गांधी ने कमोबेश सभी बड़े नेताओं की सीधे पीके से बातचीत कराकर यह संदेश दे दिया था कि पीके की कांग्रेस में आने की घोषणा की महज औपचारिकता ही शेष है।
बताया जाता है कि कांग्रेस पीके के तजुर्बे, रणनीतिक कौशल और चुनाव प्रबंधन की कला का पूरा लाभ तो लेना चाहती है लेकिन उन्हें अपनी कार्ययोजना लागू करने के लिए वह आजादी नहीं देना चाहती है जिसकी प्रशांत किशोर को दरकार है। कांग्रेस चाहती है कि पीके पार्टी में शामिल होकर अन्य नेताओं की तरह सीमित भूमिका और सीमित अधिकारों के साथ काम करें। जबकि प्रशांत अपने काम में किसी तरह का कोई हस्तक्षेप या बदलाव स्वीकार करने के मामले में एक इंच भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। कांग्रेस के कुछ बड़े नेता पीके प्रयोग को लेकर बेहद आशंकित और असुरक्षित महसूस कर रहे थे, जबकि कुछ खुलकर पीके के समर्थन में भी आ गए थे।
कल ही बनाई थीं 6 कमेटियां
कांग्रेस के नेता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को कहा था कि 2024 लोकसभा चुनाव में क्या नीति रहेगी, इसका फैसला एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप ही करेगा। 10 जनपथ में सोमवार को हुई बैठक में कांग्रेस ने भविष्य को लेकर बड़ा फैसला लिया, जिसके तहत 6 नई कमेटियां बनाई गईं। इन सभी कमेटियों के अलग-अलग संयोजक के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे, सलमान खुर्शीद, पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, भूपिंदर सिंह हुड्डा और अमरिंदर सिंह वारिंग काम करेंगे।