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चिता की राख पर बनेगा यादों का जंगल

कोरोना काल (Corona era) लोगो के लिए किसी हॉरर फ़िल्म (Horror movie) के सीन की तरह है ,पूरे देश में इस बीमारी ने न जानें कितनो से अपनों को छीना है । देश भर में कोरोना संक्रमण के कारण हुई मौत में एक ही दिन में एक साथ कितने लोगो का अंतिम संस्कार किया गया । पिछले दो महीने में करीब ढाई हजार शवों का अंतिम संस्कार भदभदा विश्राम घाट में किया गया । वही समिति का कहना है की आम दिनो की तुलना में कई गुना शव अंतिम संस्कार के लिए पहुँच रहे है,अब तक हजारों शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है । चिता से अस्थिया अलग किए जाने के बाद बड़ी मात्र में राख भी निकल रही है । अब सभी राख को नदियों में प्रवाहित (flowing in rivers) करने का मौका नहीं मिला । जिस के कारण राख का ढेर यही पर बन गया है । इस सब को देखते हुए भदभदा विश्राम घाट अब एक नई और अनोखी पहल (Unique initiative) करने जा रहा है । विश्राम घाट में रोजाना बड़ी मात्र में निकल रही राख (ashes) से स्मृति का जंगल (memory of Forest ) उगाया जाएगा । वो परिवार जिन्होंने आफ्नो को खो दिया है वो यह आफ्नो की याद में इस यादों के जंगल में पौधे लगाएंगे और खुद इस पौधे की देखरेख भी करेंगे। जल्दी ही इस अनोखी पहल की शुरुआत भदभदा विश्राम घाट समिति केरेगी और इस ये अनोखी पहल के लिए कई परिजनों ने खुशी भी जाहिर की है ।

पहाड़ी पर बनी है कई सारी खंतियां
विश्राम घाट पर करीब चार डंफर भस्म अभी भी वहीं मौजूद है। जिसको लेकर अब भदभदा विश्राम घाट समिति परिसर में मौजूद पीछे की पहाड़ी (hill) पर बनी कई सारी खंतियों में डालकर उस पर प्लांटेशन करने का प्रयास करेगी। जिसको लेकर समिति के सेकेटरी मम्तेश शर्मा ने बताया कि इस तरह से हम नदियों को भी दूषित (Rivers also contaminated) होने से बचाएंगे वहीं दूसरी तरफ जिन्होंने अपनों को खोया है वह भी अपनों के जुड़ाव को लेकर एक पौधा लगाकर सहयोग कर सकेंगे। हमारी समिति द्वारा इस तरह का प्रयास करने का सोच रहे हैं। बात दें हाल ही में प्रतिदिन 100 से अधिक शव भी भदभदा विश्राम घाट में आएं हैं जिसें प्रति शव 50 किलो भस्म इकठ्ठी हुई है। पिछले डेढ़ महीने में करीब 2500 बॉडीज का अंतिम संस्कार भदभदा विश्राम घाट में किया गया है।

11 अगस्त को सकता है प्लांटेशन
मम्तेश शर्मा ने बताया कि भदभदा विश्राम घाट समिति बहुत लंबे समय से लगातार 11 अगस्त को हम कारगिल महोत्सव (Kargil Festival) मनाते आए हैं, अगर हम 11 अगस्त तक इसको पूरा कर लेते हैं तो यहां प्लांटेशन (Plantation) इस दिन ही कराएंगे। इसके लिए हमें नगर निगम (municipal Corporation) का भी सहयोग लगेगा। यह एक अच्छी पहल हो सकती है। इसमें हम राख डलवानें के बाद इसके ऊपर मिट्टी डालेंगे, फिर उसे समतल कर प्लांटेशन करेंगे। वही कई परिजनों का कहना है की यह समिति का अच्छा निर्णय है इससे पर्यावरण को बढ़ावा मिलेगा और आज पेड़ लगाना हमारी जरुरत भी है। ताकि हमारे वातावरण को ऑक्सिजन (Oxygen) मिल सके।

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