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सियासत: ‘अटल’ जिद के आगे झुकीं थी ममता, इस्तीफा लिया था वापस

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पिछले 10 वर्षों से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज हैं। 2011 में वाम मोर्चा को सत्ता से बेदखल कर सत्ता हथियाने वाली ममता बनर्जी ने यूं ही नहीं राज्य की दो बार मुख्यमंत्री रहीं, इसके लिए उन्हें लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। जिस भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से दीदी की पार्टी टीएमसी को सीधी टक्कर है, एक जमाने में ममता बनर्जी उसी पार्टी की हिस्सा थी। यहीं नहीं, उस समय पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी और ममता के बीच अच्छी बातचीत थी। एक बार तो वाजपेयी जी की जिद के आगे झुककर मंत्री बनी थीं।

साल 1999 में ममता भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो गई थीं और उन्हें केंद्रीय रेल मंत्री बनाया गया था। 2001 में तहलका विवाद के बाद उन्होंने राजग सरकार से नाता तोड़ लिया लेकिन 2004 में एक बार फिर वह गठबंधन में शामिल हुईं और कोयला और खनन मंत्रालय का पद संभाला और उस वर्ष हुए आम चुनाव तक वह पद पर बनी रहीं।

 




 

जब ममता बनर्जी ने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दिया तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें फोन किया और मिलने के लिए दिल्ली बुलाया। इस बात का खुलासा दीदी ने खुद एक इंटरव्यू में किया था। ममता ने कहा कि जब वह दिल्ली पहुंचीं को अटल बिहारी वाजपेयी उनसे आग्रह करने लगे की इस्तीफा वापस ले लीजिए। अटल जी ने ममता से सरकार में बने रहने के लिए कहा था।

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इस पर ममता ने कहा था कि वह ऐसा नहीं कर सकती हैं। इस पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी जिद करने लगे। उन्होंने कहा था कि जब तक आप (ममता) सरकार में वापस आने का फैसला नहीं करतीं तब तक मैं खाना नहीं खाऊंगा। काफी देर तक मान मनौव्वल के बाद ममता ने अटल जी की बात मानी और मंत्रीपद स्वीकार कर लिया।

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