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मुद्रास्फीति 1991 के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर, ऐसे प्रभावित होता है इससे आपका बजट

नई दिल्ली। देश के थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मई 2022 में और बढ़कर 15.88 प्रतिशत पहुंच गयी, जो वर्ष 1991 के बाद सबसे उच्चतम स्तर पर है।

मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार चौदह महीने से 10 प्रतिशत के ऊपर चल रही है। अप्रैल 2022 में थोक मुद्रास्फीति 15.08 प्रतिशत थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मई 2022 माह में (प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार) 15.88 प्रतिशत रही जो मई 2021 में 13.11 प्रतिशत थी।”
मंत्रालय ने कहा कि पिछले वर्ष के इसी माह की तुलना में कच्चे तेल तथा प्राकृतिक गैस, खाद्य वस्तुओं, प्राथमिक धातुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, रसायन और रसायनिक उत्पादों तथा खाद्य उत्पादों आदि के थोक मूल्य बढ़ने से मई में थोक मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा।
अप्रैल की तुलना में मई माह में थोक मूल्य सूचकांक में 1.38 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।
सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति मई माह में घटकर 7.04 प्रतिशत रही जबकि अप्रैल में यह 7.79 प्रतिशत थी।
भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दरें तय करने में खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। रिजर्व बैंक के सामने मुद्रास्फीति को औसतन चार प्रतिशत के दायरे में रखने की चुनौती है। इस समय मुद्रास्फीति के बढ़ते पर अंकुश लगाने के लिए रिजर्व बैंक कर्ज महंगा करने की नीति अपना रहा है और मई से अबतक रेपो दर में दो बार 0.90 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।
रेटिंग एजेंसी इकरा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, “ऊंचे तुलनात्मक आधार के बावजूद थोक मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) मई 2022 में कुछ और चढ़कर 15.9 प्रतिशत तक पहुंच गयी जो सितंबर 1991 के बाद इसका उच्चतम स्तर है।”

उन्होंने कहा कि मई का आंकड़ा विश्लेषकों के पुर्वानुमान से ऊंचा है।
जानिए कि किस तरह होता है मुद्रास्फीति का आप पर असर
“वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में होने वाली स्थाई व अस्थाई वृद्धि को ‘मुद्रास्फीति’ कहा जाता है।”  उदाहरण के तौर पर मान लीजिए यदि 10 व्यक्तियों में प्रत्येक  के पास 100 रू खर्च करने हेतु है। वह दुकानदार ,जिनके पास केवल 100 किलो चावल ही पर्याप्त है, वे उससे 10-10 किलो चावल खरीद सकते हैं। परंतु अब यदि प्रत्येक व्यक्ति के पास 100-100 रू और आ जाएं और वे अपने पूरे पैसों से चावल खरीदना चाहे परंतु दुकानदार के पास इस पदार्थ  की मात्रा निश्चित हो तो ऐसे में क्या होगा कि दुकानदार चावल  की कीमत में वृद्धि कर देगा। और जितना लोग पहले 100 रू में खरीद रहे थे। उतना ही अब वे 200 रू में खरीदने को मजबूर होंगे। अतः कीमत में इस वृद्धि को भी हम “मुद्रास्फीति” कहते हैं।

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