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ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे वाले आदेश पर भड़के ओवैसी, बोले-मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता का खोल रहा कोर्ट का हालिया आदेश

नई दिल्ली। ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के कुछ इलाकों के सर्वेक्षण पर अदालत का हालिया आदेश रथ यात्रा के रक्तपात और 1980-1990 के दशक की मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रहा है। यह आरोप एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को लगाया है। ओवैसी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कानून का उल्लंघन है। दरअसल, काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों का सर्वे किया जा रहा है। ये सर्वे वाराणसी के सीनियर जज डिविजन के आदेश पर हो रहा है। अब इस मामले में पॉलिटिक्स की एंट्री भी हो गई है।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, अयोध्या के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अधिनियम भारतीय राजनीति की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं की रक्षा करता है जो संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है। असदुद्दीन ओवैसी का बयान अदालत के एक आयुक्त के वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद में अदालत के आदेश के अनुसार परिसर का सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के एक दिन बाद आया है। ओवैसी ने सर्वे के फैसले को एंटी मुस्लिम हिंसा का रास्ता खोलने वाला भी बताया है. ओवैसी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट की खुलेआम अवहेलना की जा रही है।





ज्ञानवापी मस्जिद कांड
दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू और अन्य ने एक याचिका दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और नंदी में दैनिक पूजा और अनुष्ठान करने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने 18 अप्रैल, 2021 को अपनी याचिका के साथ अदालत का रुख किया था। याचिका पर सुनवाई के बाद वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और अन्य स्थानों पर ईद के बाद और 10 मई से पहले श्रृंगार गौरी मंदिर की वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया।

10 से पहले मांगी रिपोर्ट
वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक के जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने पुराने 18 अगस्त के ही आदेश को दोहराते हुए बीते 8 अप्रैल को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नियुक्त करते हुए कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करने की फिर से अनुमति दे दी थी। इसके बाद प्रतिवादियों में से वाराणसी जिला प्रशासन और कमिश्नरेट पुलिस ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कार्रवाई को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था और मस्जिद में मुस्लिमों और सुरक्षाकर्मियों के ही जाने की दलील दी थी, जिसपर कोर्ट ने सुनवाई के बाद दलील को खारिज करते हुए अपने पुराने आदेश के जारी रखते हुए ईद के बाद कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्रवाई करके 10 मई के पहले तक रिपोर्ट मांगी है और सुनवाई की तारीख भी 10 मई नियत कर दी है।

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