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66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आगाज कल, उपराष्ट्रपति करेंगे शुभारंभ, देखने को मिलेगा कला-साहित्य का अद्भुत संगम

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उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन में कल मंगलवार को 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आगाज होगा। जो 18 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान कला और साहित्य का एक कालातीत उत्सव देखने को मिलेगा। समारोह का शुभारंभ शाम 4 बजे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे। इस दौरान कार्यक्रम में मप्र के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद रहेंगे। इससे पहले सोमवार को मंगल कलश यात्रा निकाली गई और कालिदास अकादमी में नान्दी-भक्ति संगीत का कार्यक्रम हुआ। समारोह में कई महान विभूतियों को सम्मानित भी किया जाएगा।

खास बात यह है कि कालिदास समारोह के दौरान आगंतुक मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा आयोजित स्काई डाइविंग फेस्टिवल के रोमांच का आनंद ले सकते हैं। उज्जैन की दताना एयर स्ट्रीप पर तीन माह के लिये पर्यटकों को 10 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर महाकाल की नगरी को देखने का रोमांचकारी अनुभव मिल सकेगा।

18 नवंबर तक ऐसे आयोजित होंगे कार्यक्रम
बुधवार 13 नवम्बर को प्रात: 10 बजे महाकवि कालिदास के साहित्य में पंच महाभूत विमर्श पर आधारित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का प्रथम सत्र, दोपहर 2 बजे विक्रम विश्वविद्यालय के अंतर्गत राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी और शाम 5 बजे पंडित सूर्यनारायण व्यास व्याख्यान माला का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद शाम 7 बजे शास्त्रधर्मी शैली पर आधारित तथा पारम्परिक शैली से अनुप्रेरित नृत्य नाटिका का प्रस्तुतिकरण होगा।

गुरुवार 14 नवम्बर को शोध संगोष्ठी का द्वितीय सत्र, व्याख्यान माला कुटुम्ब व्यवस्था, हिन्दी नाटक वसन्त सेना का प्रस्तुतीकरण होगा। 15 नवम्बर को संगोष्ठी का तृतीय सत्र, व्याख्यान माला- कालिदास का पर्यावरण चिंतन, लोक गायन और नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम् की प्रस्तुति होगी। 16 नवम्बर को संस्कृत कवि समवाय, अन्तर्विश्वविद्यालयीन संस्कृत वाद-विवाद प्रतियोगिता, लोक नृत्य की प्रस्तुति होगी। 17 नवम्बर को अन्तर महाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ, अन्तर महाविद्यालयीन हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता, शास्त्रीय गायन होगा। 18 नवम्बर को समारोह का समापन कार्यक्रम शाम साढ़े चार बजे से किया जाएगा। इसके बाद शाम 7 बजे शास्त्रीय शैली में वादन का आयोजन किया जाएगा।

इन विभूतियों को किया जाएगा सम्मान
इस वर्ष 2022-2023 के लिये कालिदास अलंकरण सम्मान शास्त्रीय गायन के लिये पं. उदय भावलकर पुणे (2022), पं. अरविंद पारेख मुंबई (2023), शास्त्रीय नृत्य के लिये डॉ. संध्या पुरेचा मुंबई (2022), गुरु कलावती देवी मणिपुर (2023), कला और शिल्प के लिये श्री पी.आर. दारोच दिल्ली- कला और शिल्प (2022), श्री रघुपति भट्ट मैसूर (2023), नाट्य के लिये सुश्री भानु भारती राजस्थान (2022) और श्री रुद्रप्रसाद सेन गुप्ता कोलकाता (2023) को दिया जाएगा।

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