मप्र में आॅक्सीजन संकट: सरकार ने माना- 30 अप्रैल तक चाहिए 651 टन आॅक्सीजन, 250 टैंकर की होगी जरूरत

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एक्टिव केस का सरकारी अनुमान दो दिन में ही फेल
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कोलकाता से एक-दो दिन में मिल सकते हैं 20 टैंकर
भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण का ग्राफ तेजी से फैलता हा रहा है। बढ़ते केस के बीच सरकार का मानना है कि 30 अप्रैल तक राज्य में कोरोना के 1 लाख 85 सक्रिय मामले हो जाएंगे, तब तक प्रदेश 651 टन आॅक्सीजन की जरूरत होगी। दूसरे राज्यों से आॅक्सीजन लाने के लिए 250 टैंकर चाहिए, लेकिन समस्या की बात यह है कि अभी 300 टन आॅक्सीजन की जरूरत है, लेकिन सरकार के पास सिर्फ 61 टैंकर हैं। 50 सरकारी, 11 किराए के। जबकि जरूरत 120 से 130 टैंकरों की है। शुक्रवार को एक्टिव केस 59 हजार 183 हो गए, जो गुरुवार को 55 हजार 694 थे। यदि रफ्तार ऐसी ही रही तो 30 अप्रैल तक सरकारी अनुमान के एक्टिव केस एक लाख 85 से भी 10 से 20 हजार ज्यादा होंगे।
तब आॅक्सीजन डिमांड 700 टन होगी। सरकार का दावा है कि शुक्रवार को 336 टन आॅक्सीजन की व्यवस्था हो गई। यह 20 अप्रैल को 445 टन, 25 अप्रैल को 565 टन हो जाएगी। भिलाई, बोकारो, राउरकेला, जमशेदपुर आदि से आॅक्सीजन लाने के लिए टैंकर जुटा रहे हैं। शुक्रवार को मप्र से अतिरिक्त ट्रांसपोर्ट कमिश्नर अरविंद सक्सेना ने कोलकाता पहुंचने के बाद आॅक्सीजन के लिए कोल इंडिया लिमिटेड के सीएमडी व मप्र कैडर के सीनियर आईएएस प्रमोद अग्रवाल से सहयोग मांगा। तुरंत टीम बनी और आठ कंपनियों से एक दिन में बात हुई है। एक-दो दिन में मप्र को 15 से 20 टैंकर मिलने की संभावना है। लक्ष्य 50 टैंकर का है। इधर, टैंकर के लिए एक टीम को भिलाई भी भेजा गया है।
इंदौर में 7 टैंकर रिलायंस देगा आॅक्सीजन
भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बताया कि रिलायंस समूह के अनंत अंबानी से बात हुई है। उन्होंने बताया- 7 टैंकर तैयार हैं। यह शनिवार-रविवार तक इंदौर पहुंचेंगे। इसे कलेक्टर मनीष सिंह देख रहे हैं। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 285 टन आॅक्सीजन की स्टोरेज क्षमता है। दूसरे राज्यों से आने वाले टैंकरों को यहां खाली किया जा सकता है। निजी अस्पतालों में 100 से 150 टन की कैपिसिटी है। बता दें कि आॅक्सीजन बेड वाले एक कोरोना मरीज को 10 लीटर प्रति मिनट सप्लाई चाहिए। जबकि आईसीयू-एचडीयू बेड वाले गंभीर मरीज को 25 लीटर प्रतिमिनट आॅक्सीजन चाहिए।
प्रदेश में बेड की स्थिति: 38 हजार 626 हैं, चाहिए 60 हजार
सरकारी और निजी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़कर 38 हजार 626 हो गई है। निजी क्षेत्र में 18 हजार बेड की क्षमता बनानी है। अभी 16 हजार 757 है। इस माह के अंत तक एक्टिव केस एक लाख से अधिक होंगे। सरकार का मानना है कि इसमें से 50 से 60 फीसदी होम आइसोलेशन में जाते हैं तो भी आईसीयू मिलाकर कम से कम 50 से 60 हजार बेड की जरूरत होगी। सरकार कोविड केयर सेंटरों के जरिए 5 हजार की क्षमता बना चुकी है।
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15 दिन में चाहिए एक लाख इंजेक्शन रेमडेसिविर
50 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन आने के बाद भी आने वाले 10 से 15 दिनों में एक लाख रेमडेसिवर इंजेक्शन की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल सनफार्मा 20 हजार और मायलोन कंपनी 50 हजार इंजेक्शन दे रही है। सिप्ला व जायडस से भी इंजेक्शन लिए जाएंगे। अन्य विकल्प भी देखे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंजेक्शन के लिए शुक्रवार को केंद्रीय रसायन मंत्री सदानंद गौड़ा से बात की।